Monday 7 November 2011

मेरी दास्ताँ ऐ हसरत  वो सुना सुना के रोये 
मुझे आजमाने वाले मुझे  आजमा  के  रोये

जो सुनाई अंजुमन ने शबे गम की आप बीती
कई रो के मुस्कराए ,कई  मुस्करा  के  रोये

कोई ऐसा अहले दिल हो जो, फसाना ऐ मोहोब्बत
मैं उसे सुना के रोऊँ  वो मुझे  सुना  के  रोये  

मैं हूँ बे वतन मुसाफिर, मेरा नाम बेबसी है 
मेरा कौन  है जहां में,जो गले लगा  के  रोये 

मेरी दास्ताँ ऐ हसरत  वो सुना सुना के रोये 
मुझे आजमाने वाले मुझे  आजमा  के  रोये

(अनजान शायर )