Thursday 29 November 2012

मन के नाजुक और सुंदर पौधे पर ,कल्पना के अनोखे रंगों से सजे शब्द जब मनमोहिनी सुगंध में ओतप्रोत होकर खिलते है और उस के पश्चात विचारों के पंखों को लगा कर  मखमली कागज़ पर हौले से उतर जाते है तब एक कविता निर्मित होती है !