Friday 3 February 2012




अबके आना तो चराग़ों की हंसी ले आना
 लान की घास से थोड़ी सी नमी ले आना
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होंट शीरीं के बहुत खुश्क हैं मुरझाए भी हैं
तुम पहाड़ों से कोई शोख नदी ले आना
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वक़्त पर मिल सके जो चीज़ वही काम की है
जो भी हो ज़हर या अक्सीर अभी ले आना
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मुद्दतें गुजरी हैं शबखाने में साग़र में खनके
किसी तौबा से मेरी प्यास कोई ले आना
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आज वोह आएँगे खुश दिखने की सूरत कर लें
शब को बाज़ार से कुछ खंदालबी ले आना
    खंदा लबी = मुस्कराहट 
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       ( अखतर किदवई )