Wednesday 8 February 2012

प्रेम जब अनंत हो गया,रोम रोम संत हो गया ...







                                                         (  माँ आनन्दमयी )


माँ आनन्दमयी का व्यक्तित्व मुझे हमेशा आकर्षित करता रहा ,मेरा मानना है उन की तस्वीर को कोई कुछ देर निहार ले तो आनन्द से भर जाता है ,सच्चे संत की ये ही पहचान होती है ,उन को देखने भर से शान्ति मिल जाती है !
माँ का जन्म,  त्रिपूरा के खेडा नाम के गाँव में एक बंगाली परिवार में  ३० अप्रैल १८९६ को हुआ था ,१२ वर्ष की आयु में उनका विवाह भोलानाथ जी के साथ हुआ,बचपन से ही कृष्ण की आराधना  में  लीन रहने  वाली माँ आनन्दमयी की भक्ति  ,उम्र के साथ -२ परवान चढने लगी ,कृष्ण प्रेम में आकंठ डूब जाने के बाद २६ वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रवचन के माध्यम से ये प्रेम रस  जन सामान्य  में वितरित करना शुरू किया , उन का शरीर 
१९८३ में पञ्च तत्व में विलीन हो गया पर माँ का प्रेम आज भी महसूस किया जा सकता है .