Sunday 5 February 2012






क्या कहिये ऐसी हालत में कौन समझने वाला है 
सब की आँखों  पे  पर्दा है हर एक जुबां पर ताला है 

किस के आगे सर पटकें और चिल्लाये किस के आगे 
एक हाथ में छुपा है खंज़र ,   एक   से  जपते माला है 


करनी और कथनी में अंतर ,आसमाँ और ज़मीं का है 
कहते थे क्या क्या कर देगें,पर बस बातों   में  टाला है 





 (इस रचना की पहली पंक्ति किसी ब्लॉग पर मुशायरे में  ग़ज़ल लिखने
के लिए रखी गयी ,मैं ने कोशिश की पर क्यूकि मुझे ग़ज़ल के नियम पता नहीं 
है के कैसे लिखते है ,तो ये उस मुशायरे के नाकाबिल साबित हुई,यहाँ में इसे ग़ज़ल 
के रूप में नहीं सिर्फ अपनी एक रचना के रूप में रख रही हूँ )
(अवन्ती सिंह)