Friday 27 April 2012

सोन चिड़िया

तुम्हारे जन्म के बाद जब तुम्हे पहली बार देखा तो 
मैं फूट-२ के रो पड़ी थी ,तुम्हे देखते ही ख़ुशी के साथ 
एक डर ने भी जन्म लिया था,के एक दिन तुम मुझे 
छोड़ कर चली जाओगी .........
किसी और के घर की रौनक बन जाओगी 
मैं कैसे अपने जिगर के टुकड़े को किसी और को सौप पाऊँगी 
तुम कुछ दिन और कुछ महीनों की हुई तो मैं तुम्हारी मधुर मुस्कान में 
भूल गयी के तुम किसी और की अमानत हो ........
हंसते खेलते सालों गुज़र गए ,और एक दिन अचानक तुम ने स्कूल से 
घर आ कर कहा ,मम्मी अपनी अच्छी सी साड़ी  दो टीचर डे पर पह्नुगी 
और तुम ने जिस दिन साड़ी पहनी ,अपनी उम्र से काफी बड़ी लग रही थी तुम 
मेरा सोया डर फिर जाग गया अरे बस कुछ ही साल और है मेरे घर से तुम्हारी विदाई के 
दिल में एक दर्द सा उठा पर मैं ने झट से सोचा मैं भी कितनी पागल हूँ अभी तो बच्ची स्कूल में 
अभी तो बहुत पढना है कुछ बनना है,जाने कितने साल पड़े है अभी तो 
पर जाने क्यूँ ये साल कुछ ज्यादा ही जल्दी गुजर जाते है 
बस कुछ ही दिनों में तुम बी.ऐ .भी कर लोगी 
और कुछ ही सालों में तुम्हे विदा करना ही पड़ेगा 
ये कैसी अजीब सी कशमकश होती है ना
बिटिया के ब्याह के अरमान भी हर माँ संजोती है 
और उस की जुदाई के असहनीय दर्द को भी साथ साथ सहती है 
तुम्हारे जाने के अहसास से तो कलेजा काँप उठता है 
मेरे घर की रौनक तो तुम से ही है मेरी सोन चिड़िया 
तुम्हारे बिना ये आंगन तो बिराना सा हो जाएगा 
पर उस वक्त के आने से पहले में जी भर के जी लेना चाहती हूँ 
तुम्हारे साथ को ,अपने इस दर्द के अहसास को खुद में समेटे हुए 
तुम्हे खूब खुशियाँ  देना चाहती हूँ ..........    
 

Saturday 21 April 2012

मरुआ




मरुआ 
ये एक पौधा होता है जो तुलसी से काफी मिलता जुलता होता है इस में अनंत गुण होते है पर अभी सिर्फ इस के एक गुण के बारे में बात करते है,ये जहां भी लगा होता है आस पास के लोगों को डेंगू और मलेरिया होने का खतरा नहीं रहता इस की खुशबु से इन बिमारियों के मच्छर भाग जाते है सामान्य मच्छर तो रहेगे पर बीमारी फ़ैलाने वाले मच्छर नहीं आयेगे , इन बिमारियों के आने से पहले ही अपने घर के आस पास इस पौधे को अवश्य लगाये ,एक बार पौधा लगा लिया तो इस के इतने बीज हो जाते है के आप अपने सब मित्रों को इस के बीज वितरित कर सकते हैया फिर मेरी तरह उन बीजों को गमलों  में डाल दें ,कुछ ही दिन में पौधे निकल आते है ,फिर उन पौधों को उपहार में दें अपने मित्रों को ,सच जानिए बड़ी ख़ुशी मिलती है

Tuesday 17 April 2012

 
आज कल काफी लोगों को नज़र का चश्मा लग जाता है आँखों की उचित देख भाल से आप चश्मे से बच सकते है यदि चश्मा लग ही गया है तो नम्बर आगे न बढ़े इस के लिए कुछ उपाय 



मुलेठी का एक टुकड़ा एक गिलास पानी में भिगोकर रखें और उस पानी को पीते रहे पानी खत्म होने पर उस में और पानी भर दें एक लकड़ी का टुकड़ा सारा दिन इस्तेमाल हो जायेगा रात को उसे फेंक दें



दोनों पाँव के अंगूठों में सरसों के तेल से नियमित मालिश करें !

खाना खाने के तुरंत बाद आखें अवश्य धोये !

बाज़ार में आई वाश करने का एक छोटा सा बर्तन मिलता है {चित्र में देखे ) सुबह और रात को सोते वक्त इस में पानी भरके अपनी आँखों पर इस प्रकार लगायें के आप की आँखों में पानी भर जाये ,१ मिनट   तक अपनी आँखे पानी के सम्पर्क में रहने दें और उन्हें खोलें और बंद करें यदि हम इस विधि का रोजाना उपयोग करें तो ताउम्र हमे चश्मा नहीं लगेगा और यदि लग गया है तो नम्बर नहीं बढ़ेगा

Thursday 5 April 2012

एक पुरानी कविता

करके  अहसान  किसी  पर,  अगर  जता  भी   दिया
तो फिर वो अहसान  कैसा, किया, किया,  ना  किया

रहो   खामोश,   अगर        दर्द   किसी    का     बांटो 
करोगे चर्चे तो फिर गम हल्का,किया,किया ना किया 


तजुर्बे,    जिन्दगी   की   राह   में   गर  काम  ना  आये 
तो फिर वो खाक तजुर्बा   था,किया,  किया,   ना किया

तुम्हारी    हसरतों    पर  गर   पकड रही   ना तुम्हारी
जिया तो जीवन तुम ने,मगर जिया, जिया,  ना जिया


किसी   की   आँख   के आंसू ,  अगर  तुम पौंछ ना पाए 
सजदे   में  सर   खुदा   के ,   दिया,   दिया,    ना   दिया 


सफाई    दिल   की कालिख की अगर तुम कर नहीं पाए
स्नान  गंगा      में   जाकर,  किया,   किया,   ना   किया 


तुम्हारे    घर   में   ही   गर  तुम  पे  उठ  रही है उंगलियाँ
सलाम  दुनिया   ने   तुम   को,  किया,   किया,  ना किया 


पुकारे  जब   भी   धरती   माँ,  तो   उठ  चलना   हुंकार  के
कहेगी  वरना  ये धरा,  जन्म इस ने लिया,लिया,ना लिया 
(अवन्ती सिंह )

Tuesday 3 April 2012

ब्रह्म अस्त्र हमारे पास


समाज में बुराई फ़ैलाने वाले हर सीरियल और हर  विज्ञापन का दिखाया जाना या न दिखाया  जाना हमारे और सिर्फ हमारे हाथ में है ,ब्रह्म अस्त्र हमारे पास है और हम कहते है ,हम कर ही क्या सकते है

इन सब के खिलाफ आवाज़ उठने का सब से सार्थक और सरल  तरीका यदि हम सब सीख जाए तो किसी भी
अर्थहीन और समाज का भ्रमित करने वाले और परिवारों को गलत संस्कार देने वाले सीरियल और विज्ञापन
बंद हो सकते है और वो ताकत हम सब के पास होते हुए भी हम अनजान है उस से ,आवश्कता है जागरूक होने की,कोई भी विज्ञापन  या सीरियल या कोई भी अन्य कार्यक्रम उस की TRP बढने या घटने से सफल या
असफल होता है और TRP बढती है उस कार्यक्रम के देखे जाने से ,हम लोग कहते है ये सब गलत दिखाया जा
रहा है पर उसे देखते है ,बस गलती हम से यहीं होती है ,जो हमारे समाज और परिवार के लिए सही नहीं उसे
देखना बंद कीजिये,जब भी ऐसी कोई चीज दिखाई दे फौरन चैनल बदल दीजिये ,इससे उस कार्यक्रम या
विज्ञापन की TRP गिरेगी और उसे बनाने वाले समझ जायेगे के जो वो दिखा रहे है वो पसंद नहीं किया जा रहा.
 कितने घरों में कौन सा कार्यक्रम देखा जा रहा है इस सब की खबर आधुनिक तकनीक से इन्हें बनाने वालों तक
आसानी से पहुच जाती है और इस के ही आधार पर (TV Ratings Points.) TRP तय की जाती है . 
  अच्छे और  समाज को सही दिशा देने वाले कार्यक्रम को देखिये उस की TRP बढाइये ,  फिर देखिये कैसे बदलता है ये माहौल  .