Wednesday 16 October 2013

मोटापे से हैं परेशान?



मोटापा कम करने के हजारों उपाय आप ने पढ़े -सुने होंगें पर सब से सरल उपाय  है ये जानना के मोटापा बढ़ता क्यों है,मेडिकल की भाषा में समझे तो आवश्यकता से अधिक कैलेरी   लेने के कारण मोटापा बढने लगता है,जो व्यक्ति baithe रहते है अधिक काम नहीं karte और जिनकी aayu  बढ़ गईहै उन्हें दिन मे१२०० से लेकर १५०० कैलेरी की आवश्कता होती है,अधिक भागदोड़ करने वालेलोगों को ,बच्चों को,नवयुवको  को२००० से २५०० कैलेरी  की आवश्यकता होती है ,आइये  अब जानते है किस चीज में कितनी कैलेरी  होती है

सामान्य आकार की रोटी =  लगभग १०० कैलेरी
एक कटोरी  दाल/सब्जी  =    "        १०० कैलेरी
एक कप  चाय               =    "       १००  कैलेरी
एक कप काफी              =    "        २००  कैलेरी
 एक कटोरी पनीर की  या अधिक  आयल में बनी कोई भी  सब्जी                         =   "        ३०० से ५०० कैलेरी
एक कटोरी खीर            =  "        ५०० से  ६०० कैलेरी
एक समोसा /कचोरी       =  "        २०० से २५० कैलेरी
सेब/ संतरा/ अमरुद/ सामान्य आकार का १०० कैलेरी
केला १५० से२०० कैलेरी
बीन्स फली की सब्जी एक कटोरी ६० कैलेरी
एक कटोरी (सामान्य आकार) चावल १०० से १५० कैलेरी
१०० ग्राम  बिस्किट या नमकीन ४०० से ५०० कैलेरी
पूरी छोले की एक प्लेट ५०० से ६०० कैलेरी
हरा सलाद एक प्लेट १०० से १५० कैलेरी

इस प्रकार आप हिसाब लगा सकते है के आप ने दिन  भर में कितनी कैलेरी खाई  है अगर आप का वजन बढ़ गया है तो १२०० से१५०० तक कैलेरी खाइए हर महीने आप का वजन २ किलो तक कम हो जायेगा (खुद आजमाया हुआ नुस्खा ,निश्चिन्त रहें वजन जरुर कम होगा   :) वजन कम हो तो बताइयेगा जरुर )  विशेष =सुबह शाम  आधा घंटा सैर  करने जरुर जाएँ

  (अवन्ती सिंह )

Monday 30 September 2013

मरुआ

गीत अंतरात्मा के:( मरुआ:)    ये एक पौधा होता है जो तुलसी से काफी मिलता जुलता होता है इस में अनंत गुण होते है पर अभी सिर्फ इस के एक गुण के बारे में बात करते है,...

Friday 8 March 2013

प्रकृति और नारी




मैं हवा सी हूँ 

मुझे बाँध सके कोई 

इतनी बिसात कहाँ है किसी में 

बाँधने वाले को भी उड़ा  कर ले जा सकती हूँ 

किन्तु बंधी रहती हूँ सदा ,स्नेह की कच्ची डोरी से ....


मैं दहकती ज्वाला सी हूँ 

मेरा सम्मान करने वाले मुझे से जीवन पाते है !

करें जो अपमान, वो भस्म हो जाते है 

मेरे क्रोध की धधकती लपटों से .....


कल कल करते ,बहते नीर सी हूँ मैं ...

चाहु तो प्यास बुझा दूँ जग की 

अपने स्नेह ,अपनी ममता से 

चाहूँ तो ध्वस्त कर दूँ ,घर ,बस्ती ,सब  

किसी क्रोधित,उफनती  नदी की तरह ....


मैं धेर्य से टिकी धरा सी  हूँ ...

तुम्हारे हर कर्म को व्यवहार को 

चुपचाप सहती हूँ शांत रह कर 

पर जब टूट जाये बाँध धेर्य का 

तो मेरी जरा सी कसमसाहट 

भूकंप ला  सकती है,उथल -पुथल 

कर सकती है तुम्हारे मन को  ,जीवन को .....


अपनी विशालता में सब को समेटे 

असीमित आकाश सी भी हूँ मैं 

अपने स्नेह-जल को बरसा कर 

सब का जीवन पोषित करूँ 

नव-जीवन का संचार् करूँ 

पर यदि बढ़े  तुम्हारे मन का प्रदुषण 

तो हो कुपित ,बिजलियाँ गिरा  कर 

दुष्टों का संघार करूँ ........


(अवन्ती सिंह आशा )  











Thursday 24 January 2013

सिर्फ चर्चा और बातें


आओ करें बाते राजनीति और मौसम  पर
चर्चा करें समाज में  हो  रहे  परिवर्तन पर! 

 बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर,आम के आचार पर 
बदलती नीतियाँ और बदलते संस्कार पर! 

रेल पर, खेल  पर,  महंगे  होते   तेल  पर 
कुश्ती के दंगल पर,खत्म होते जंगल पर !

बाघों के शिकार पर ,हिरणों की हत्या पर 
करें  खूब   चर्चा ,  झूठ  और   सत्य  पर !

सडक के किनारे ठिठुरते कुछ बच्चों पर 
कभी बुरे लोगों पर और कभी अच्छों पर !

गीता के ज्ञान पर, धर्म  और  विज्ञान पर 
वहशी और इंसान पर ,औरों के ईमान पर !

क्या इन  चर्चाओं   से   कुछ बदल पायेगा 
कुछ ठोस करने को कदम कब उठ पायेगा! 

कुछ ठोस काम करने की सरकार की जिम्मेदारी है 
हम करेगे  चर्चा ,   हमे   चर्चा     की    बीमारी  है !

Wednesday 9 January 2013

एक पुरानी रचना



भेड़ की खाल  में  कुछ   भेड़िये   भी  बैठे  है 
लिबासे इंसान में कुछ  जानवर   भी  बैठे है  

शर्मो ह्या को बेच  आये  है जा  के  बाज़ार  में
और कुटिल मुस्कान चेहरे पर सजा कर बैठे है 


घर की बहन बेटियों को भी  आती  होगी  शर्म इन पर 
जो दिखावे को ,   कई राखियाँ  बंधा    कर   बैठे   है 

जायेगे जब दुनिया से ये, लेगी राहत की साँसे धरती भी 
जाने कब से उस के आंचल को, ये  पाँव तले दबा कर बैठे है