चर्चा करें समाज में हो रहे परिवर्तन पर!
बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर,आम के आचार पर
बदलती नीतियाँ और बदलते संस्कार पर!
रेल पर, खेल पर, महंगे होते तेल पर
कुश्ती के दंगल पर,खत्म होते जंगल पर !
बाघों के शिकार पर ,हिरणों की हत्या पर
करें खूब चर्चा , झूठ और सत्य पर !
सडक के किनारे ठिठुरते कुछ बच्चों पर
कभी बुरे लोगों पर और कभी अच्छों पर !
गीता के ज्ञान पर, धर्म और विज्ञान पर
वहशी और इंसान पर ,औरों के ईमान पर !
क्या इन चर्चाओं से कुछ बदल पायेगा
कुछ ठोस करने को कदम कब उठ पायेगा!
कुछ ठोस काम करने की सरकार की जिम्मेदारी है
हम करेगे चर्चा , हमे चर्चा की बीमारी है !
करने की हैं कितनी बातें,
ReplyDeleteकम पड़ते सब दिन, सब रातें।
बातों के बाद कुछ काम भी हो जाय तो बात बने.
ReplyDeleteआपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें.
हम करेगे चर्चा , हमे चर्चा की बीमारी है ! :)
ReplyDeleteसुन्दर :)
सार्थक पोस्ट .उम्दा .
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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हमे चर्चा की बीमारी है...
ReplyDeleteसच कहा ..
bahut hi achcha lekh. charcha se nahi thos kadam uthane se hi sthitiyon me sudhar sambhav hoga.
ReplyDeletevery true line congratulation
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