Monday 23 February 2015

कुछ शेर

कुमार विश्वास की कलम से निकले चंद  शेर मुझे बहुत पसंद है ,आप भी इनका  लुत्फ़ उठायें
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तुम्हे जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे खून में पानी बहुत है !

जहर,सूली ने,गाली ,गोलियों ने
हमारी  ज़ात  पहचानी बहुत है

इरादा कर लिया गर खुदखुशी का
तो अपनी आँख का पानी बहुत है
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पुकारे आँख में चढ़कर, तो खु को  खु  समझता है
अँधेरा किस को कहते है ये बस जुगनू समझता है

हमे तो चाँद -तारों में भी तेरा  रूप दिखता  है
मोहब्ब्त में नुमाइश को अदाये तू समझता है !
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रूह -जिस्म का ठौर -ठिकाना चलता रहताहै
जीना मारना, खोना पाना चलता रहता है !

सुख दुःख वाली चादर ,बढ़ती घटती रहती है
मौला     तेरा    ताना   बाना  चलता रहता है !

इश्क करो तो जीते जी मर जाना पड़ता है
मर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है

जिन  नज़रों ने रोग  लगाया गज़लें कहने का
आज तलक उन को नज़राना चलता रहता है !
(कुमार विश्वास )