बताये कोई तो ये क्यूँ इन्सां का दिल, दिन बदिन छोटा हुआ जाता है
खुदा ने बनाया तो खरे सोने का था,मिलावट तुम ने की है, जो ये खोटा हुआ जाता है
ये तेरा ये मेरा , ये अपना पराया, बच्चों को हम ने बस ये ही सिखाया
बचपन में फ़रिश्ते सा था, उम्र बढ़ते-2 , वो वहशी हुआ जाता है ,दरिंदा हुआ जाता है
अब मेरे शहर की गलियाँ सूनी हो जाती है शाम ढलती ही,खामोशी सी छा जाती है
कभी अंगीठियाँ जला के तापते थे देर रात तक गलियों में,वो सब,अब सपना हुआ जाता है
सांझे चूल्हे , कुवे, तालाब,आम के बाग़, हम ने देखे है, उन्हें रूह से महसूस भी किया है
बच्चों को किस्से भी सुनाये तो, ये सब क्या चीजे होती है ये समझाना , मुश्किल हुआ जाता है
ठहर जा ऐ इन्सां रुक जा , बस कर , इतनी तरक्की तो काफी है ना जीने के लिए
ऐसा ना हो तू इतना पा जाये के घुटे दम,कहे इन सब के बीच सांस ले पाना मुश्किल हुआ जाता है
(अवन्ती सिंह )
खुदा ने बनाया तो खरे सोने का था,मिलावट तुम ने की है, जो ये खोटा हुआ जाता है
ये तेरा ये मेरा , ये अपना पराया, बच्चों को हम ने बस ये ही सिखाया
बचपन में फ़रिश्ते सा था, उम्र बढ़ते-2 , वो वहशी हुआ जाता है ,दरिंदा हुआ जाता है
अब मेरे शहर की गलियाँ सूनी हो जाती है शाम ढलती ही,खामोशी सी छा जाती है
कभी अंगीठियाँ जला के तापते थे देर रात तक गलियों में,वो सब,अब सपना हुआ जाता है
सांझे चूल्हे , कुवे, तालाब,आम के बाग़, हम ने देखे है, उन्हें रूह से महसूस भी किया है
बच्चों को किस्से भी सुनाये तो, ये सब क्या चीजे होती है ये समझाना , मुश्किल हुआ जाता है
ठहर जा ऐ इन्सां रुक जा , बस कर , इतनी तरक्की तो काफी है ना जीने के लिए
ऐसा ना हो तू इतना पा जाये के घुटे दम,कहे इन सब के बीच सांस ले पाना मुश्किल हुआ जाता है
(अवन्ती सिंह )
सुविधाओं की भाग-दौड़ में
ReplyDeleteसुख का है अस्तित्व खो गया
देह सिर्फ रह गई व्यक्ति की
पूरा ही व्यक्तित्व खो गया.
बहुत ही ज्वलंत विषय पर कलम चली है, बधाई.
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeleteठहर जा ऐ इन्सां रुक जा , बस कर , इतनी तरक्की तो काफी है ना जीने के लिए
ReplyDeleteऐसा ना हो तू इतना पा जाये के घुटे दम,कहे इन सब के बीच सांस ले पाना मुश्किल हुआ जाता है
बेहद संवेदनशील प्रस्तुति. बधाई
बहुत सुन्दर,
ReplyDeleteमहत्वाकांक्षाएँ इंसान की फितरत बदल रही हैं...
बहुत सटीक रचना.
It's time to check reality! Nice post!
ReplyDeletetarakkee karnee hai to
ReplyDeletekeemat bhee chukaanee padegee
bahut umdaa shabd aur vichaar ,congrats
कल 20/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
Bahut Sundar
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
बेहतरीन रचना के लिए बधाई .
ReplyDeleteAvant ji kya khoob likha hai apne behtar pravishti ke liye badhai sweekaren.
ReplyDeletebahut shi tarakki kihamne badi kiimat chukai hai
ReplyDeletebehtarin rachana
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