Tuesday 18 October 2011

कमल का फूल

             कमल का फूल 

ये  जो कमल का फूल है , ये इस दुनिया का तो नहीं लगता
कैसे कीचड़ का एक कण भी, इसके निर्मल तन पर नहीं टिकता?

हम तो अपने आस पास बिखरे दुर्गुणों से निर्लेप रह पाते  नहीं है ?
 मन  को अपने  हम  क्यूँ   इतना  स्वच्छ  रख पाते   नहीं  है ?

इस ही कमी के कारण शायद  हम  ईश्वर को  नहीं    पा  पाते    है और 
कमल सहज ही ईश्वर के चरणों में,हाथों में और मस्तक पर चढ़ जाते है !

   




 

1 comment:

  1. Mann ke liye aapka ye sanshodhan achha laga.Atmanirikshan karna jaroori hai kabhi kabhi!

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