थोडा हँसा कीजिये जनाब थोडा मुस्कराया कीजिये
थाली में सजी है कई सब्जियों की कटोरियाँ और पकवान
एक टुकड़ा किसी भूखे की तरफ भी तो बढ़ाया कीजिये
आलिशान मकान में क्या रहने लगे भूल गए गरीबी का दर्द
कभी किसी की झोपडी पर फूस का छप्पर तो डलवाया कीजिये
बच्चे आप के मुंह खोले तो खोल देते है पर्स , करते है हर फरमाइश पूरी किसी मासूम के फैले हाथ पर एक सिक्का रखने में भी मत कतराया कीजिये
हर गम हो जायेगा कौसों दूर , सारी फिक्रें हो जायेगी काफूर
माँ के दुखते पांवों कभी कभी तो दबाया कीजिये
(अवन्ती सिंह )
जब हो लिखने का मन तो यूँ ही लिखते जाया कीजिये ....
ReplyDeleteकाश आपकी बातें मान् ली जाएँ...................
ReplyDeleteअनु
क्यूँ रहती है माथे पे शिकन हर वक्त आप के ?
ReplyDeleteथोडा हँसा कीजिये जनाब थोडा मुस्कराया कीजिये ... वाह
bahut shandar.
ReplyDeleteअच्छी सलाह। उत्तम ध्यानाकर्षण।
ReplyDeleteअच्छी नसीहत देती रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर मन के भाव ...
ReplyDeleteप्रभावित करती रचना .
औरों के बाटेंगे तो आपके दुख भी कम हो जायेंगे।
ReplyDeleteMaa ke Panv jaroor dabane chahiyen ... Neva milta hai ..
ReplyDeleteबहुत अच्छी -अच्छी बाते कही है आपने
ReplyDeleteअगर इन्हें मान ले तो कोई तकलीफ ही ना रहे..
sundar panktiyan
ReplyDeletekya baat hai avanti ji....bahut hee khoobsurat!
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