एक गीत लिखने का मन है
ढूँढ़ रही हूँ कुछ नए शब्द
जो बिलकुल अनछुए हो
न कभी पढ़े ,ना कभी सुने हों
मन की असीम गहराई में जा कर
बहुत कोशिश की मोतियों से शब्द पाने की
पर नाकाम रही ,मन की असीम गहराई में
उतरने के बाद जो संगीत सुना ,वो बिलकुल नया
और अनसुना था,पर उन शब्दों को कागज़ पर किस तरह
उकेरा जायेगा ,ये बोध अभी नहीं हुआ है ,जाने कब सीख
पाऊँगी उन शब्दों को लिख पाना ,और कब बनेगा नए शब्दों
से सजा नया गीत,कुछ दिनों में,कुछ साल में या किसी नए जन्म
तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी पता नहीं ................
ढूँढ़ रही हूँ कुछ नए शब्द
जो बिलकुल अनछुए हो
न कभी पढ़े ,ना कभी सुने हों
मन की असीम गहराई में जा कर
बहुत कोशिश की मोतियों से शब्द पाने की
पर नाकाम रही ,मन की असीम गहराई में
उतरने के बाद जो संगीत सुना ,वो बिलकुल नया
और अनसुना था,पर उन शब्दों को कागज़ पर किस तरह
उकेरा जायेगा ,ये बोध अभी नहीं हुआ है ,जाने कब सीख
पाऊँगी उन शब्दों को लिख पाना ,और कब बनेगा नए शब्दों
से सजा नया गीत,कुछ दिनों में,कुछ साल में या किसी नए जन्म
तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी पता नहीं ................
(अवन्ती सिंह)
आपकी तलाश जरुर होगी.... गीत जरुर लिखेंगी.....
ReplyDeleteजब संगीत गूँज उठा है तो वह बरबस कागज़ पर उतर ही जायेगा और शब्द स्वयं ही चले आएँगे माध्यम बनकर। शुभकमना !
ReplyDeleteवाह! सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति।
jis din hrady se niklenge shabd
ReplyDeletegeet ban jaayegaa
मन का सम बनाये रखिये, भाव स्वतः ही आ जायेंगे।
ReplyDeleteKhayalon mein safar karte rahein, naye shabd avashya milenge...
ReplyDeleteAur hum sab yahan unhe padhne ke liye taiyar hain....subhkamnayein....
आपको एहसास नहीं...गीत तो बन गया....
ReplyDeleteवाह!!!!!गीत तो बन गया,अच्छी रचना,.....
ReplyDeleteMY NEW POST ...सम्बोधन...
मन की असीम गहराई में
ReplyDeleteउतरने के बाद जो संगीत सुना,
वो बिलकुल नया और अनसुना था
मन की सुन्दर अभिव्यक्ति!
बहुत शुभकामनाएं!
bahut sunder pryaas .....
ReplyDeletelikhti rahein ....
अनछुए शब्दों की तलाश करना ही कविता के सृजन की पूर्वपीठिका है।
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
आज 21/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव..... शब्द अवतरित होते रहें बस...!
ReplyDeleteबस युही भावनाओं में खोते रहिये, गीत बनते जायेंगे
ReplyDeleteबहुत खूब ......
ReplyDeleteअनछुए से शब्द .... सुंदर भावभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्रेम के तो कोई शब्द नहीं होते ... फिर उनको बांधना आसान कहाँ होगा ....
ReplyDeleteये तो महसूस करने के लिए हैं ... सुन्दर रचना ...
छंद और बंद्ध से मुक्त सिर्फ जज़्बात मायने रखते हैं।
ReplyDeleteअच्छी रचना...
ReplyDeleteजरुर लिख लेंगी गीत.....मिल जायेगे शब्द आपको....
ReplyDeleteSanjivani mudra ke bareme jaankaaree deneke liye bahut,bahut dhanywaad!
ReplyDeleteबहुत खूब ...बेहतरीन भाव संयोजन ।
ReplyDeleteकुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह गयीं अवन्तिजी ...सुन्दर !
ReplyDeleteऔर कब बनेगा नए शब्दों
ReplyDeleteसे सजा नया गीत...
बहुत सुन्दर रचना... हम भी रहेंगे उस गीत की प्रतीक्षा में..