Saturday, 18 February 2012

पता नहीं

एक गीत लिखने का मन है 
ढूँढ़ रही हूँ कुछ नए शब्द
जो बिलकुल अनछुए हो 
न कभी पढ़े ,ना कभी सुने हों 
मन की असीम गहराई में जा कर 
बहुत कोशिश की मोतियों से शब्द पाने की
पर नाकाम रही ,मन की असीम गहराई में 
उतरने के बाद जो संगीत सुना ,वो बिलकुल नया 
और अनसुना था,पर उन शब्दों  को कागज़ पर किस तरह 
उकेरा जायेगा ,ये बोध अभी नहीं हुआ है ,जाने कब सीख
पाऊँगी उन शब्दों को लिख पाना ,और कब बनेगा  नए शब्दों 
से सजा नया गीत,कुछ दिनों में,कुछ साल में या किसी नए जन्म 
तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी पता नहीं ................

(अवन्ती सिंह)



27 comments:

  1. आपकी तलाश जरुर होगी.... गीत जरुर लिखेंगी.....

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  2. जब संगीत गूँज उठा है तो वह बरबस कागज़ पर उतर ही जायेगा और शब्द स्वयं ही चले आएँगे माध्यम बनकर। शुभकमना !

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  3. सुंदर रचना।
    गहरी अभिव्‍यक्ति।

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  4. jis din hrady se niklenge shabd
    geet ban jaayegaa

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  5. मन का सम बनाये रखिये, भाव स्वतः ही आ जायेंगे।

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  6. Khayalon mein safar karte rahein, naye shabd avashya milenge...

    Aur hum sab yahan unhe padhne ke liye taiyar hain....subhkamnayein....

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  7. आपको एहसास नहीं...गीत तो बन गया....

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  8. वाह!!!!!गीत तो बन गया,अच्छी रचना,.....

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

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  9. मन की असीम गहराई में
    उतरने के बाद जो संगीत सुना,
    वो बिलकुल नया और अनसुना था

    मन की सुन्दर अभिव्यक्ति!
    बहुत शुभकामनाएं!

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  10. अनछुए शब्दों की तलाश करना ही कविता के सृजन की पूर्वपीठिका है।

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  11. आज 21/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  12. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.

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  13. बहुत सुंदर भाव..... शब्द अवतरित होते रहें बस...!

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  14. बस युही भावनाओं में खोते रहिये, गीत बनते जायेंगे

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  15. अनछुए से शब्द .... सुंदर भावभिव्यक्ति

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  16. प्रेम के तो कोई शब्द नहीं होते ... फिर उनको बांधना आसान कहाँ होगा ....
    ये तो महसूस करने के लिए हैं ... सुन्दर रचना ...

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  17. छंद और बंद्ध से मुक्त सिर्फ जज़्बात मायने रखते हैं।

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  18. जरुर लिख लेंगी गीत.....मिल जायेगे शब्द आपको....

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  19. Sanjivani mudra ke bareme jaankaaree deneke liye bahut,bahut dhanywaad!

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  20. बहुत खूब ...बेहतरीन भाव संयोजन ।

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  21. कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह गयीं अवन्तिजी ...सुन्दर !

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  22. और कब बनेगा नए शब्दों
    से सजा नया गीत...


    बहुत सुन्दर रचना... हम भी रहेंगे उस गीत की प्रतीक्षा में..

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