सुना है तुम्हारे कमरे की खिड़की के पास खड़ा है एक वृक्ष आम का
वो भर गया होगा अब तो बौर से
उस पर बैठ कर कोयल भी कूका करती होगी अक्सर
क्या उस की कूक सुन कर कभी मेरी याद आती है?
कभी तेज हवाओं से उस वृक्ष के पत्ते जब टकराते है आपस में
तो तुम्हे लगता नहीं के तुम्हारे कानों में मेरे बारे में कुछ बुदबुदा
रहे है ये पत्ते .....
और कभी बारिश में ,पत्तों पर पड़ी बूंदे तुम्हे मेरी आँखों की चमक
की याद नहीं दिलाती ?
कभी तो उस वृक्ष की लहराती डालियाँ मेरी जुल्फों सी प्रतीत हुई होगी तुम्हे
कहो न ऐसा हुआ है कभी ? देखना आज उस वृक्ष को और बतलाना मुझे
bahut sundar...
ReplyDeletebade antaraal ke baad aapko padhna achha laga..
anu
बहुत सुन्दर भाव..
ReplyDeleteयकी़नन ...
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है
सौन्दर्य रस
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteखुबसुरत भावाव्यक्ति. शान्दार रचना.
ReplyDeleteआप सब का हार्दिक आभार :)
ReplyDeleteसुन्दर लगी पोस्ट और तस्वीर दोनों ही ।
ReplyDeleteखूबसूरत दिल के एहसास
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