Tuesday 21 August 2012

वृक्ष आम का



सुना है तुम्हारे  कमरे की खिड़की के पास खड़ा है एक वृक्ष आम का
वो भर गया होगा अब तो बौर से
उस पर बैठ  कर कोयल भी कूका  करती होगी अक्सर
क्या उस की कूक  सुन कर कभी मेरी याद आती है?
कभी तेज हवाओं से उस वृक्ष के पत्ते  जब टकराते है आपस में
तो तुम्हे लगता नहीं के तुम्हारे कानों में मेरे बारे में कुछ बुदबुदा
रहे है ये पत्ते .....
और कभी बारिश में ,पत्तों पर पड़ी बूंदे  तुम्हे मेरी आँखों की चमक
की याद नहीं दिलाती ?
कभी तो उस वृक्ष की लहराती डालियाँ मेरी जुल्फों सी प्रतीत हुई होगी तुम्हे
कहो न ऐसा हुआ है कभी ? देखना आज उस वृक्ष को और बतलाना मुझे

10 comments:

  1. bahut sundar...
    bade antaraal ke baad aapko padhna achha laga..

    anu

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  2. यकी़नन ...
    बहुत खूब लिखा है

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  3. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  4. खुबसुरत भावाव्यक्ति. शान्दार रचना.

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  5. आप सब का हार्दिक आभार :)

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  6. सुन्दर लगी पोस्ट और तस्वीर दोनों ही ।

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  7. खूबसूरत दिल के एहसास

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