सरकारी हॉस्पिटल्स कि हालत तो खराब है ही वहाँ पर काम करने वाले लोगों के नखरे भी सातवें आसमान पर रहते है ,यहाँ तक तो इंसान झेल भी ले लेकिन मरीज़ के प्रति कि जा रही लापरवाही को कैसे नज़र अंदाज़ किया जाये समझ नहीं आता ,जीवन में ४, या ५ बार सरकारी हस्पताल में जाना हुआ है और हर बार दिल बहुत दुखा ,पिछले शुक्रवार कुत्ते ने कटा लिया अपने ड़ाक्टर के पास गए तो पता चला के इंजेक्शन १०००० रूपये का आता है बाहर मार्किट में ,उसके बाद लगने वाले ५ इंजेक्शन प्रति इंजेक्शन ५०० रूपये का आता है ,सलाह मिली के इंजेक्शन सरकारी अस्प्ताल में भी लगाये जाते है फ्री आफ कॉस्ट ,दीनदयाल अस्प्ताल पास है वहाँ लगवा आइये ,सलाह उचित लगी इंजेक्शन लगवा आये शनिवार को एक बजे के बाद इंजेक्शन नहीं लगते पर एमरजैंसी में पहुँचिये तो लगा देते है ,वहाँ का माहौल बहुत अच्छा नहीं तो बुरा भी कहना उचित नहीं होगा ,जैसे तैसे ४ घंटे में इंजेक्शन लगवा कर राहत कि सांस ली अगली तारीख मिली थी २१ ,सुबह १० बजे पहुचे ,भीड़ तो पूछिये मत,दरवाजा बंद था अंदर झांक कर देख रहे लोगों ने बताया चाय -नाश्ता चल रहा रहा भीड़ बढ़ती रही लोगो ने जब तंग करना शुरू किया तो अंदर बुलावा आने लगा ,मेरा नंबर आया ,सिस्टर ने पर्ची देखि और हाथ में इंजेक्शन उठा लिया लगाने को ,मेरी आखों में की सवाल देखर कहा ,हाथ आगे कीजिये सोचेने का वक़त नहीं है,मैं ने कहा आप ने इंजेक्शन पहले से भर के रखा है ,उसने कहा हाँ ,भीड़ ज्यादा इस लिए ऐसे करते है ,कई सारी सिरिंज भी निकाल कर रखीं थी ,मैं ने कहा सिस्टर नई सिरिंज तो मेरे सामने लगाइये प्लीज़ , इतना सुनना था वे भड़क उठी ,हम क्या बेईमान है सब सिरिंज नई है ,इतने नखरे है तो प्राइवेट में जाकर लगवाओ ,मैं ने कहा यहाँ के सब खर्चे जनता के दिए टैक्स से चलते है हमारा हक़ है चाहेगे तो यहाँ से ही लगवाएंगे ,आप सिरिंग बदलिए ,काफी बहस के बाद उन्होंने सिरिंज बदली ,और बिना तोड़े ही वो सिरिंज कूड़े-दान में फेक दी , कितने ही कानून बन जाये पर जब तक एक इंसान दूसरे इंसान कि जान को कीमती नहीं समझेगा ये घटनाये रुकने वाली है ?कभी नहीं .
क्या वे अपने परिवार के सदस्य के स्वास्थ्य से ऐसे खेल सकती थीं? कभी नहीं
स्थिति ख़राब है
ReplyDeleteअस्पताल या अन्य कोई अन्य सरकारी संस्थान सब जगह बुरे हालात है...
ReplyDeleteये हालत कब और कैसे बदलेंगे ...ये कोई नहीं जानता
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