aap to badhiyaa likhte hee ho kuchh ham bhee likhne kee koshish karte hein अब सूखे फूल किताबों में रखता हूँ, कहानी ज़िन्दगी की उनमें देखता हूँ
मेरी ज़िन्दगी में भी फूल खिले थे जहाँ को मेरे महकाते थे रंगों से सरोबार उसे रखते थे चमन में बहार लाते थे अब सूखे फूल किताबों में रखता हूँ, कहानी ज़िन्दगी की उनमें देखता हूँ उदासी में खुशी ढूंढता हूँ याद बीते पलों की करता हूँ निरंतर खोयी दुनिया में लौटता हूँ खिज़ा में बहार का अहसास पाता हूँ 23-11-2010
किताबों में छुपे फूल जीवन भर के लिए सहारा बन जाते हैं।
ReplyDeleteसुंदर कविता।
बहुत ही सार्थक व सटीक लेखन| मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteमर ही जाते हम,मगर बड़ा हौसला दिया उन्होंने
ReplyDeleteतेरे दिए कुछ फूल जो किताबों में छुपा दिए थे .........
आनंद आ गया, विचार नए लगे. सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई.
aap to badhiyaa likhte hee ho
ReplyDeletekuchh ham bhee likhne kee koshish karte hein
अब सूखे फूल किताबों में रखता हूँ, कहानी ज़िन्दगी की उनमें देखता हूँ
मेरी
ज़िन्दगी में भी
फूल खिले थे
जहाँ को मेरे महकाते थे
रंगों से सरोबार उसे
रखते थे
चमन में बहार
लाते थे
अब सूखे फूल किताबों में
रखता हूँ,
कहानी ज़िन्दगी की
उनमें देखता हूँ
उदासी में खुशी ढूंढता हूँ
याद बीते पलों की
करता हूँ
निरंतर खोयी दुनिया में
लौटता हूँ
खिज़ा में बहार का
अहसास पाता हूँ
23-11-2010
मर ही जाते हम,मगर बड़ा हौसला दिया उन्होंने
ReplyDeleteतेरे दिए कुछ फूल जो किताबों में छुपा दिए थे
अति सुन्दर कविता।
vikram7: जिन्दगी एक .......
क्या खूब लिखा है जी http://garhwalikavita.blogspot.com/
ReplyDeletevery beautiful creation....!!!
ReplyDeleteमर ही जाते हम,मगर बड़ा हौसला दिया उन्होंने
ReplyDeleteतेरे दिए कुछ फूल जो किताबों में छुपा दिए थे .........
Wah!!! Bahut khoob,
Excellent use of figure of speech...
वाह...वाह......
ReplyDeleteतमाम उम्र ढूंढे उसके कदमो के निशां,दश्त -ओ-सहरा में
ReplyDeleteपर वक्त की तेज आंधी ने तो वो सब मिटा दिए थे ......
bahut hi sundar rachana ....badhai Awanti ji .
वाह ! बहुत खूब ..!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !