Sunday 13 May 2012

दिल से ........
हमेशा सुनती आई हूँ के बेटियों को लोग नहीं चाहते ,उन्हें कोख में ही मार देने के प्रयास किये जाते है 
पर  इस मामले में मैं खुशकिस्मतों  हूँ ,मुझ से बड़े मेरे दो भाई थे और मेरी मम्मी की इच्छा थी की उन को अब एक बेटी भी हो ,वे दिन रात इश्वर से प्रार्थना  किया करती थी एक बेटी के लिए,मेरे जन्म पर खुशियाँ मनाई गयी और मुझे हमेशा ही दोनों भाइयों से अधिक प्यार मिला ,मुझे गर्व है अपनी माँ पर जिन्होंने बेटी के लिए दुआए मांगी और मुझे हमेशा खूब प्यार दिया।......

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  अवन्ती सिंह 











10 comments:

  1. मेरी भी दो बेटियां है लेकिन बेटे की कोई आकांशा कभी नहीं रही क्योंकि मैं हमेशा से बेटे और बेटिओं में फर्क नहीं समझती.

    हैप्पी मदर्स डे.

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  2. हर परिवार चाह ले कि घर में एक बेटी हो तो यह समस्या रहेगी ही नहीं। बुन्देलखण्ड में लोग अब भी मानते हैं कि जब तक बेटी न हो जाये, कोख पवित्र नहीं होती है।

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  3. आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |

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  4. मेरे भी एक बेटी है जिसके जन्म पर मुझे बेटे के जन्म से ज्यादा खुशी हुई थी और आज भी वह हमें सबसे प्यारी है....

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  5. meri bhee ek beti hai jo parson 1 maheene ki hui hai....its a beautiful feeling to have daughters.

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  6. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ हैं ......२ भाई होने के बाद लड़की की कामना की गई और ...मेरी माँ ने मुझे पाया था ....
    नतमस्तक उस माँ को ...जो लडको के बाद भी लड़की की चाह रखती हैं ...और सभी घर वाले उनका साथ भी देते हैं ...

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  7. आमीन ... ऐसे ही आपको प्यार मिलता रहे ...

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