यूँ तो सब कुछ है मकाँ  में, पर वो आँगन खो गया
सब से आगे है वो बच्चा जिस का बचपन खो गया
नीति कुछ  ऐसी फंसी इस   राजनीति  के  भंवर  में 
गांधियों की   भीड़ में  बेचारा  मोहन  खो  गया  
             २ रुबाइयां
1
कोसो किस्मत को, तीरगी  से डरो
या जलाओ दिए  उजाला करो 
सूनी  आँखे भली नहीं लगतीं 
इन में सपने  या नींद कुछ तो भरो
                 २
सपने हों अगर आँख में तो कम बरसे  
दुनिया उसे मिलती है जो निकले घर से
या उड़ के झपट लाओ वो काले बादल  
या घर में ही बैठे रहो प्यासे तरसे
    ( akhtar kidwai )

