चाँद से नूर थोडा, खुदा ने उठाया होगा
जब तुम्हारे जिस्म की रंगत को बनाया होगा
टिमटिमाते दो तारे रख दिए आँखों में तुम्हारी
और काली घटाओं से, बालों को बनाया होगा
होठ ऐसे के, लगे नाजुक पंखुड़ी कमल की हो
कमल की पखुडिया वो कैसे तराश पाया होगा
इतने तीखे नयन -नक्श बनाये होगे जिससे
उस औजार को वो जाने कहाँ से लाया होगा
जिस्म ऐसा, जैसे नदी गिरती हो उठ जाती हो
नदी को सांचे में, वो कैसे ढाल पाया होगा
चाँद से नूर थोडा, खुदा ने उठाया होगा
जब तुम्हारे जिस्म की रंगत को बनाया होगा
( चित्र साभार -गूगल इमैज )
जब तुम्हारे जिस्म की रंगत को बनाया होगा
टिमटिमाते दो तारे रख दिए आँखों में तुम्हारी
और काली घटाओं से, बालों को बनाया होगा
होठ ऐसे के, लगे नाजुक पंखुड़ी कमल की हो
कमल की पखुडिया वो कैसे तराश पाया होगा
इतने तीखे नयन -नक्श बनाये होगे जिससे
उस औजार को वो जाने कहाँ से लाया होगा
जिस्म ऐसा, जैसे नदी गिरती हो उठ जाती हो
नदी को सांचे में, वो कैसे ढाल पाया होगा
चाँद से नूर थोडा, खुदा ने उठाया होगा
जब तुम्हारे जिस्म की रंगत को बनाया होगा
( चित्र साभार -गूगल इमैज )