Thursday 24 January 2013

सिर्फ चर्चा और बातें


आओ करें बाते राजनीति और मौसम  पर
चर्चा करें समाज में  हो  रहे  परिवर्तन पर! 

 बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर,आम के आचार पर 
बदलती नीतियाँ और बदलते संस्कार पर! 

रेल पर, खेल  पर,  महंगे  होते   तेल  पर 
कुश्ती के दंगल पर,खत्म होते जंगल पर !

बाघों के शिकार पर ,हिरणों की हत्या पर 
करें  खूब   चर्चा ,  झूठ  और   सत्य  पर !

सडक के किनारे ठिठुरते कुछ बच्चों पर 
कभी बुरे लोगों पर और कभी अच्छों पर !

गीता के ज्ञान पर, धर्म  और  विज्ञान पर 
वहशी और इंसान पर ,औरों के ईमान पर !

क्या इन  चर्चाओं   से   कुछ बदल पायेगा 
कुछ ठोस करने को कदम कब उठ पायेगा! 

कुछ ठोस काम करने की सरकार की जिम्मेदारी है 
हम करेगे  चर्चा ,   हमे   चर्चा     की    बीमारी  है !

Wednesday 9 January 2013

एक पुरानी रचना



भेड़ की खाल  में  कुछ   भेड़िये   भी  बैठे  है 
लिबासे इंसान में कुछ  जानवर   भी  बैठे है  

शर्मो ह्या को बेच  आये  है जा  के  बाज़ार  में
और कुटिल मुस्कान चेहरे पर सजा कर बैठे है 


घर की बहन बेटियों को भी  आती  होगी  शर्म इन पर 
जो दिखावे को ,   कई राखियाँ  बंधा    कर   बैठे   है 

जायेगे जब दुनिया से ये, लेगी राहत की साँसे धरती भी 
जाने कब से उस के आंचल को, ये  पाँव तले दबा कर बैठे है