Tuesday 17 January 2012

जिंदगी आ तुझे शब्दों में आज ढाला जाये

जिंदगी आ तुझे शब्दों   में   आज   ढाला  जाये 
दिल की हसरतों को सभी, आज निकला जाये 


आसूं पौंछ  दिए  जाएँ   हर  नम आँख से और 
हर एक भूखे के पेट तक आज  निवाला  जाये 

दिल और जिस्म के हर ज़ख्म पर लगे मरहम आज 
दुःख और दर्द को दे दिया आज   देश निकला जाये 

दी जाये एक मुस्कान ,तोहफे में किसी मायूस को 
बन के   हमदर्द,  किसी   बेबस को सम्भाला जाये 

कभी ना देखी हो खुशियों की रौशनी जिस ने ,उस के लिए 
सूरज  की   किरणों से  आज लिया   छीन,  उजाला  जाये 

 आओ खोलें आज   मिल कर ,  हम सब   मधुशाला  स्नेह की 
जहाँ से हर एक प्यासे के होठो तक, पंहुचा दिया एक प्याला जाये 
(अवन्ती सिंह)