तुम्हारे जन्म के बाद जब तुम्हे पहली बार देखा तो
मैं फूट-२ के रो पड़ी थी ,तुम्हे देखते ही ख़ुशी के साथ
एक डर ने भी जन्म लिया था,के एक दिन तुम मुझे
छोड़ कर चली जाओगी .........
किसी और के घर की रौनक बन जाओगी
मैं कैसे अपने जिगर के टुकड़े को किसी और को सौप पाऊँगी
तुम कुछ दिन और कुछ महीनों की हुई तो मैं तुम्हारी मधुर मुस्कान में
भूल गयी के तुम किसी और की अमानत हो ........
हंसते खेलते सालों गुज़र गए ,और एक दिन अचानक तुम ने स्कूल से
घर आ कर कहा ,मम्मी अपनी अच्छी सी साड़ी दो टीचर डे पर पह्नुगी
और तुम ने जिस दिन साड़ी पहनी ,अपनी उम्र से काफी बड़ी लग रही थी तुम
मेरा सोया डर फिर जाग गया अरे बस कुछ ही साल और है मेरे घर से तुम्हारी विदाई के
दिल में एक दर्द सा उठा पर मैं ने झट से सोचा मैं भी कितनी पागल हूँ अभी तो बच्ची स्कूल में
अभी तो बहुत पढना है कुछ बनना है,जाने कितने साल पड़े है अभी तो
पर जाने क्यूँ ये साल कुछ ज्यादा ही जल्दी गुजर जाते है
बस कुछ ही दिनों में तुम बी.ऐ .भी कर लोगी
और कुछ ही सालों में तुम्हे विदा करना ही पड़ेगा
ये कैसी अजीब सी कशमकश होती है ना
बिटिया के ब्याह के अरमान भी हर माँ संजोती है
और उस की जुदाई के असहनीय दर्द को भी साथ साथ सहती है
तुम्हारे जाने के अहसास से तो कलेजा काँप उठता है
मेरे घर की रौनक तो तुम से ही है मेरी सोन चिड़िया
तुम्हारे बिना ये आंगन तो बिराना सा हो जाएगा
पर उस वक्त के आने से पहले में जी भर के जी लेना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ को ,अपने इस दर्द के अहसास को खुद में समेटे हुए
तुम्हे खूब खुशियाँ देना चाहती हूँ ..........