Tuesday 5 May 2015

सेल्फ रियलाइजेशन (आत्म जान )




इस शब्द (आत्म- ज्ञान )में ही हमारी पहचान छुपी है ! 

प्रश्न :- पर आत्मा को ये  की क्या जरूरत के वो आत्मा है ?

उत्तर :- जरूरत है, क्युकी  आत्मा स्वयं को शरीर जान कर जिस प्रकार के कार्य करती है वे कार्य काम ,क्रोध। लोभ मोह से प्रेरित किये कार्य  हो जाते है ,जिसके कारण अनेक प्रकार की गलतियां अनजाने या जानते हुए हो जाती है ,यदि आत्मा स्वयं के ज्ञान के बाद इस देह के सब सम्भन्धों को निबहेँ तो वो ,सही और उत्तम कार्य करेगी !

प्रश्न :- उदाहरण  से समझाइये कैसे ?

उत्तर :- जब आत्म ज्ञान हो के मैं आत्मा हूँ ,शरीर में रहकर अपना धर्म और वक़्त पूरा करके इस देह को छोड़कर ,अगली देह में जाना है और इस देह में रहते हुए जो कर्म करने है उस के ही आधार पर मेरे पुण्य और पाप संचित होगें वो ही मेरे लिए अगली देह कैसी हो इस बात का निर्धारण करेंगे !  यदि इतनी सी बात देहधारी समझ ले तो क्या वो कोई दुष्कर्म ,पाप /अनैतिक कर्म करेगा ? कभी नहीं करेगा ,ये तो छोटा सा उदाहरण है ,सेल्फ रियलाइजेशन से खुद को निरन्तर जोड़े रहने से इंसान में इतने अधिक परिवर्तन आते है के वो खुदब-खुद ,सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ता जाता है ,उसके लिए तरक्की और उन्नति की राहें खुलती जाती है जिसके फलस्वरूप वो अपना ये जन्म और अगले सब ही जन्म बहुत अच्छे तरीके से जीता है !

 प्रश्न :-  ये सब तो ठीक है पर जब हम खुद को आत्मा कहते है तो महसूस क्यों नहीं होता के हम आत्मा है ,सेल्फ रियलाइजेशन की सही विधि क्या है ?

उत्तर :- सतयुग में आत्म ज्ञान भरपूर था,इसलिए मनुष्य अपराध नहीं करता था ,धीरे धीरे पञ्चविकारों में फँसकर मनुष्य स्वयं को देह समझ कर कर्म करने लगा और ये ही कारण रहा के पाप और दुष्कर्म निरन्तर बढ़ते रहे ,इतने जन्मों का अभ्यास हो गया है न खुद को देह मानने का ,सब्र से धीरे धीरे ही ये अभ्यास छूटेगा !

इसके लिए नियम जरूरी है ,कोई भी एक वक़्त निश्चित करें , ऑफिस के लिए जाते वक़्त यदि बस या टेक्सी /मेट्रो इत्यादि काप्रयोग करते है तो ये वक़्त अच्छा है ,या जब भी दिन में पांच मिनट निकल पाएँ ,या रात को सोने से पहले ५ मिनट आँखें बंद कीजिये और दोहराये 

मैं आत्मा हूँ ! 
मैं देह नहीं ,देहधारी हूँ !
मस्तिष्क के बीच ,चमकते सितारे की तरह में स्वरूप है !
मैं शांत हूँ !
मैं पवित्र हूँ !
मैं परम -आत्मा का अंश हूँ !
मैं सदा ऐसे कार्य करूंगा जिससे मेरा परम पिता मुझ पर गर्व कर सके !

और अंत में 5 बार दोहराये मैं शांत हूँ ,मैं शांत हूँ !

सब से जरूरी है किसी एक वक़्त का नियम बनाना ,वरना ये आप कभी नहीं कर पायेगे ,माया करने ही नहीं देगी !