मिल कर ढूंढे वो सूरज जो, अंतस में उजियारा भर दे
अँधियारा मन का हर ले जो, आत्मा को पूर्ण प्रकाशित कर दे
लायें ढूंढ़ कर वो बहारें जो ,हर एक डाली को हरित करें
हर डाली पर सुख की कलियाँ हो, हर पेड़ संतोष के फल दे
सागर से कहें ,वो बादल गढ़, जो स्नेह का जल बरसा जाये
वो स्नेह बहें हर एक मन में और कटुता को पिघला जाये
एक नया चाँद भी लाना है जो, नव-रश्मियाँ हम तक पहुचाये
हर मन में प्रीत का ज्वार उठे , जग प्रीत भवर में खो जाये
अँधियारा मन का हर ले जो, आत्मा को पूर्ण प्रकाशित कर दे
लायें ढूंढ़ कर वो बहारें जो ,हर एक डाली को हरित करें
हर डाली पर सुख की कलियाँ हो, हर पेड़ संतोष के फल दे
सागर से कहें ,वो बादल गढ़, जो स्नेह का जल बरसा जाये
वो स्नेह बहें हर एक मन में और कटुता को पिघला जाये
एक नया चाँद भी लाना है जो, नव-रश्मियाँ हम तक पहुचाये
हर मन में प्रीत का ज्वार उठे , जग प्रीत भवर में खो जाये