एक वोह ज़िन्दगी से प्यारा जो
एक मैं ज़िन्दगी से हारा जो.
तुम हो जो ख्वाब ख्वाब जीते हो
मैं तो वोह, सारे ख्वाब हारा जो.
ले गया लुट कर मेरा सूरज
नाकसो कस का था सहारा जो.
वोह भी अब रौशनी से डरता है
था कभी सुब्ह का सितारा जो.
आज भी उसके आसरे हैं आप
आज भी बेकसों बेचारा जो.
मैं न कहता था वोह किसी का नहीं
कभी मेरा कभी तुम्हारा जो.
(नाकसो कस = each and every body)
--------- akhtar किदवाई
एक मैं ज़िन्दगी से हारा जो.
तुम हो जो ख्वाब ख्वाब जीते हो
मैं तो वोह, सारे ख्वाब हारा जो.
ले गया लुट कर मेरा सूरज
नाकसो कस का था सहारा जो.
वोह भी अब रौशनी से डरता है
था कभी सुब्ह का सितारा जो.
आज भी उसके आसरे हैं आप
आज भी बेकसों बेचारा जो.
मैं न कहता था वोह किसी का नहीं
कभी मेरा कभी तुम्हारा जो.
(नाकसो कस = each and every body)
--------- akhtar किदवाई