जब भी कोई प्रेम गीत लिखना चाहती हूँ मैं
करके 2 पल आँखें बंद कल्पना में उतरती हूँ
तो एक स्त्री और पुरुष की छवि उतर आती है आँखों में
एक दुसरे को प्रेम से देखते हुए ,पूर्ण समर्पण का भाव आँखों में भरे हुए
लगता है के इन की पूरी दुनिया सिर्फ एक दूजे से ही पूरी हो जाती है
किसी तीसरे का कोई स्थान नहीं है वहां ,और जरूरत भी नहीं
खुद में मग्न ,एक दूजे को सुख और स्नेह से भरने को सदा आतुर रहते है वो दोनों
इन दोनों को देखते ही मेरी कलम कसमसाने लगती है ,बेचैन हो उठती है प्रेम गीत लिखने को
मेरा हर प्रेम गीत के नायक और नायिका ये ही रहे है सदा
और कैसा इतफाक है प्रिय ,के हम दोनों से काफी मिलती जुलती छवि है इन दोनों की
हुबहू हम से ही लगते है ये भी ...............
(अवन्ती सिंह )
करके 2 पल आँखें बंद कल्पना में उतरती हूँ
तो एक स्त्री और पुरुष की छवि उतर आती है आँखों में
एक दुसरे को प्रेम से देखते हुए ,पूर्ण समर्पण का भाव आँखों में भरे हुए
लगता है के इन की पूरी दुनिया सिर्फ एक दूजे से ही पूरी हो जाती है
किसी तीसरे का कोई स्थान नहीं है वहां ,और जरूरत भी नहीं
खुद में मग्न ,एक दूजे को सुख और स्नेह से भरने को सदा आतुर रहते है वो दोनों
इन दोनों को देखते ही मेरी कलम कसमसाने लगती है ,बेचैन हो उठती है प्रेम गीत लिखने को
मेरा हर प्रेम गीत के नायक और नायिका ये ही रहे है सदा
और कैसा इतफाक है प्रिय ,के हम दोनों से काफी मिलती जुलती छवि है इन दोनों की
हुबहू हम से ही लगते है ये भी ...............
(अवन्ती सिंह )