Saturday 10 March 2012

तस्वीरों में खुशियाँ

खुशियों के पल इंसान के जीवन में कम ही आते है 
ये बहुत बार सुना था ,इसलिए जब भी खुशियाँ मिली 
उनकी तस्वीर बना कर रख दी मैं ने .......
के जब ना रहेगी ये खुशियाँ तो इन की देख कर तस्वीरें 
दिल को कुछ पल सुकून मिल जायेगा .....
खुशियाँ आती गयी ,जाती गयी,मैं तस्वीरें बनती गयी....
पर एक दिन जब निकाल कर देखा उन सब तस्वीरों को 
तो मैं हैरान रह गयी ,मेरी आँखे तो उन तस्वीरों को देख 
कर इस कद्र बहने लगी जैसे किसी पुराने  बाँध में दरार 
पड़ गयी हो ,  मैं कितनी नादाँ हूँ,   गयी   हुई     खुशियाँ, 
 तस्वीर      में कहाँ    बांध   कर    रखी   जा सकती है ,
वो तो और गहरा कर देती है ,उन खुशियों के गुज़र जाने 
के अहसास को........



(अवन्ती सिंह )