Friday 13 January 2012
शाम को आज अलाव जला कर , सब इर्दगिर्द बैठ जायेगे
रेवड़ियां,मूंगफली और मक्की के फुल्ले,बांटेगे और खायेगे
मकर संक्रांति का ये पर्व मन में नव उत्साह भर जाता है
कोई सजाये रंगोली से घर ,तो कोई पतंग उडाता है
उत्तर भारत में इस पर्व को कुछ इस अंदाज से मनाते है
बहन बेटियों के घर ,खिचड़ी,पकवान और नव वस्त्र पहुचाते है
करके पवित्र नदियों में स्नान ,सूर्य के आगे नत मस्तक हो जाते है
कहीं -2 ,घर के बुजुर्गों को नव वस्त्र के दे उपहार आदर सम्मान जताते है
रात को बैठ अलाव की आग के आगे , सब संग हँसते बतियाते है
आपस के मन मुटाव को अग्नि की भेट चढाते , खुशियाँ मनाते है
रेवड़ियां,मूंगफली और मक्की के फुल्ले,बांटेगे और खायेगे
मकर संक्रांति का ये पर्व मन में नव उत्साह भर जाता है
कोई सजाये रंगोली से घर ,तो कोई पतंग उडाता है
उत्तर भारत में इस पर्व को कुछ इस अंदाज से मनाते है
बहन बेटियों के घर ,खिचड़ी,पकवान और नव वस्त्र पहुचाते है
करके पवित्र नदियों में स्नान ,सूर्य के आगे नत मस्तक हो जाते है
कहीं -2 ,घर के बुजुर्गों को नव वस्त्र के दे उपहार आदर सम्मान जताते है
रात को बैठ अलाव की आग के आगे , सब संग हँसते बतियाते है
आपस के मन मुटाव को अग्नि की भेट चढाते , खुशियाँ मनाते है
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