क्या कहिये ऐसी हालत में कौन समझने वाला है
सब की आँखों पे पर्दा है हर एक जुबां पर ताला है
किस के आगे सर पटकें और चिल्लाये किस के आगे
एक हाथ में छुपा है खंज़र , एक से जपते माला है
करनी और कथनी में अंतर ,आसमाँ और ज़मीं का है
कहते थे क्या क्या कर देगें,पर बस बातों में टाला है
के लिए रखी गयी ,मैं ने कोशिश की पर क्यूकि मुझे ग़ज़ल के नियम पता नहीं
है के कैसे लिखते है ,तो ये उस मुशायरे के नाकाबिल साबित हुई,यहाँ में इसे ग़ज़ल
के रूप में नहीं सिर्फ अपनी एक रचना के रूप में रख रही हूँ )
(अवन्ती सिंह)