पीपल का पेड़ रात को भी ऑक्सीजन प्रदान करता है ये हम सब जानते ही है , रात को जब अन्य पेड़ ऑक्सीजन लेने लगते है तो प्राणी मात्र के लिए ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो जाती है , शुद्ध ऑक्सीजन की कमी के कारण अनेक बीमारियाँ भी होती है , सुबह ३ से ५ बजे के बीच में होने वाले हार्ट-अटैक का एक मुख्य कारण ऑक्सीजन की कमी भी है पृथ्वी पर ऑक्सीजन की घटती मात्रा को संभालने के लिए क्या हम लोग जागरूक होकर पीपल के वृक्ष को अधिक से अधिक लगा सकते है? पार्क ,बगीचे या फिर बड़े गमलों में ही पीपल के कुछ वृक्ष लगायें और अपनी स्वच्छ साँसें खुद निर्मित करें, कृपया इस तरह के मैसेज अपनी वॉल पर अपने शब्दोँ में जरूर लिखें ,लेखक मित्र इस विषय पर कविताएँ और रचनाएँ जरूर लिखे!
Sunday 11 May 2014
Monday 27 January 2014
ख़त एक तुम को लिखने का मन है भगवन
क्या पता है तुम्हारा? किस धाम लिखूं ?
मन्दिर में हो?गिरिजा में हो? या मस्जिद में पैगाम लिखूं ?
तुम नाम भी अपना बतला दो ,राम लिखूं या रहमान लिखूं?
धरती, अम्बर सूरज लिख दूँ या सुबह लिखूं या शाम लिखूं ?
कह कर तुम को अल्लाह पुकारूँ या जगन्नाथ भगवान लिखूं
तुम महावीर हो या नानक हो तुम? पर हम सब के पालक हो तुम
निवास निर्धारित है क्या तुम्हारा? गीता में हो? या कुरान लिखूं?
किस देश में हो?किस वेश में हो? किस हाल में? परिवेश में हो ?
किसी पत्थर कि मूर्त में हो या काबे की सुरत में हो?या गुरुग्रंथ स्थान लिखूं?
तुम निराकार हो या साकार हो तुम ? एक हो या अनेक प्रकार हो तुम ?
रुक्मणी के महल में रहते हो? या मीरा का ग्राम स्थान लिखूं?
ख़त एक तुम को लिखने का मन है भगवन
क्या पता है तुम्हारा? किस धाम लिखूं ?..............
क्या पता है तुम्हारा? किस धाम लिखूं ?
मन्दिर में हो?गिरिजा में हो? या मस्जिद में पैगाम लिखूं ?
तुम नाम भी अपना बतला दो ,राम लिखूं या रहमान लिखूं?
धरती, अम्बर सूरज लिख दूँ या सुबह लिखूं या शाम लिखूं ?
कह कर तुम को अल्लाह पुकारूँ या जगन्नाथ भगवान लिखूं
तुम महावीर हो या नानक हो तुम? पर हम सब के पालक हो तुम
निवास निर्धारित है क्या तुम्हारा? गीता में हो? या कुरान लिखूं?
किस देश में हो?किस वेश में हो? किस हाल में? परिवेश में हो ?
किसी पत्थर कि मूर्त में हो या काबे की सुरत में हो?या गुरुग्रंथ स्थान लिखूं?
तुम निराकार हो या साकार हो तुम ? एक हो या अनेक प्रकार हो तुम ?
रुक्मणी के महल में रहते हो? या मीरा का ग्राम स्थान लिखूं?
ख़त एक तुम को लिखने का मन है भगवन
क्या पता है तुम्हारा? किस धाम लिखूं ?..............
Wednesday 22 January 2014
सरकारी हॉस्पिटल्स
सरकारी हॉस्पिटल्स कि हालत तो खराब है ही वहाँ पर काम करने वाले लोगों के नखरे भी सातवें आसमान पर रहते है ,यहाँ तक तो इंसान झेल भी ले लेकिन मरीज़ के प्रति कि जा रही लापरवाही को कैसे नज़र अंदाज़ किया जाये समझ नहीं आता ,जीवन में ४, या ५ बार सरकारी हस्पताल में जाना हुआ है और हर बार दिल बहुत दुखा ,पिछले शुक्रवार कुत्ते ने कटा लिया अपने ड़ाक्टर के पास गए तो पता चला के इंजेक्शन १०००० रूपये का आता है बाहर मार्किट में ,उसके बाद लगने वाले ५ इंजेक्शन प्रति इंजेक्शन ५०० रूपये का आता है ,सलाह मिली के इंजेक्शन सरकारी अस्प्ताल में भी लगाये जाते है फ्री आफ कॉस्ट ,दीनदयाल अस्प्ताल पास है वहाँ लगवा आइये ,सलाह उचित लगी इंजेक्शन लगवा आये शनिवार को एक बजे के बाद इंजेक्शन नहीं लगते पर एमरजैंसी में पहुँचिये तो लगा देते है ,वहाँ का माहौल बहुत अच्छा नहीं तो बुरा भी कहना उचित नहीं होगा ,जैसे तैसे ४ घंटे में इंजेक्शन लगवा कर राहत कि सांस ली अगली तारीख मिली थी २१ ,सुबह १० बजे पहुचे ,भीड़ तो पूछिये मत,दरवाजा बंद था अंदर झांक कर देख रहे लोगों ने बताया चाय -नाश्ता चल रहा रहा भीड़ बढ़ती रही लोगो ने जब तंग करना शुरू किया तो अंदर बुलावा आने लगा ,मेरा नंबर आया ,सिस्टर ने पर्ची देखि और हाथ में इंजेक्शन उठा लिया लगाने को ,मेरी आखों में की सवाल देखर कहा ,हाथ आगे कीजिये सोचेने का वक़त नहीं है,मैं ने कहा आप ने इंजेक्शन पहले से भर के रखा है ,उसने कहा हाँ ,भीड़ ज्यादा इस लिए ऐसे करते है ,कई सारी सिरिंज भी निकाल कर रखीं थी ,मैं ने कहा सिस्टर नई सिरिंज तो मेरे सामने लगाइये प्लीज़ , इतना सुनना था वे भड़क उठी ,हम क्या बेईमान है सब सिरिंज नई है ,इतने नखरे है तो प्राइवेट में जाकर लगवाओ ,मैं ने कहा यहाँ के सब खर्चे जनता के दिए टैक्स से चलते है हमारा हक़ है चाहेगे तो यहाँ से ही लगवाएंगे ,आप सिरिंग बदलिए ,काफी बहस के बाद उन्होंने सिरिंज बदली ,और बिना तोड़े ही वो सिरिंज कूड़े-दान में फेक दी , कितने ही कानून बन जाये पर जब तक एक इंसान दूसरे इंसान कि जान को कीमती नहीं समझेगा ये घटनाये रुकने वाली है ?कभी नहीं .
क्या वे अपने परिवार के सदस्य के स्वास्थ्य से ऐसे खेल सकती थीं? कभी नहीं
Tuesday 21 January 2014
सिर्फ चर्चा और बातें
चर्चा करें समाज में हो रहे परिवर्तन पर!
बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर,आम के आचार पर
बदलती नीतियाँ और बदलते संस्कार पर!
रेल पर, खेल पर, महंगे होते तेल पर
कुश्ती के दंगल पर,खत्म होते जंगल पर !
बाघों के शिकार पर ,हिरणों की हत्या पर
करें खूब चर्चा , झूठ और सत्य पर !
सडक के किनारे ठिठुरते कुछ बच्चों पर
कभी बुरे लोगों पर और कभी अच्छों पर !
गीता के ज्ञान पर, धर्म और विज्ञान पर
वहशी और इंसान पर ,औरों के ईमान पर !
क्या इन चर्चाओं से कुछ बदल पायेगा
कुछ ठोस करने को कदम कब उठ पायेगा!
कुछ ठोस काम करने की सरकार की जिम्मेदारी है
हम करेगे चर्चा , हमे चर्चा की बीमारी है !
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