एक अंतराल के बाद देखा...
मांग के करीब सफेदी उभर आई है
आँखें गहरा गयी हैं,
दिखाई भी कम देने लगा है...
कल अचानक हाथ कापें ..
दाल का दोना बिखर गया-
थोड़ी दूर चली ,
और पैर थक गए .
अब तो तुम भी देर से आने लगे हो..
देहलीज़ से पुकारना ,अक्सर भूल जाते हो
याद है पहले हम हर रात पान दबाये,
घंटों घूमते रहते...
..अब तुम यूहीं टाल जाते हो...
कुछ चटख उठता है-
आवाज़ नहीं होती ...
पर कुछ साबुत नहीं रह जाता.....
और यह कमजोरी,
यह गड्ढे,
यह अवशेष
जब सतह पर उभरे ...
एक चटखन उस शीशे में बिंध गयी ..
..और तुम उस शीशे को...
.. फिर कभी न देख सके!
मांग के करीब सफेदी उभर आई है
आँखें गहरा गयी हैं,
दिखाई भी कम देने लगा है...
कल अचानक हाथ कापें ..
दाल का दोना बिखर गया-
थोड़ी दूर चली ,
और पैर थक गए .
अब तो तुम भी देर से आने लगे हो..
देहलीज़ से पुकारना ,अक्सर भूल जाते हो
याद है पहले हम हर रात पान दबाये,
घंटों घूमते रहते...
..अब तुम यूहीं टाल जाते हो...
कुछ चटख उठता है-
आवाज़ नहीं होती ...
पर कुछ साबुत नहीं रह जाता.....
और यह कमजोरी,
यह गड्ढे,
यह अवशेष
जब सतह पर उभरे ...
एक चटखन उस शीशे में बिंध गयी ..
..और तुम उस शीशे को...
.. फिर कभी न देख सके!
सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमेरी नई रचना देखें-
मेरी कविता:आस
बहुत उम्दा लिखती है आप सरस जी,बधाई इतनी प्यारी रचना के लिए.......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
संकेत कुछ कहते हैं, उन्हें गम्भीरता से लेना होता है..
ReplyDeletebudhaape kaa ahsaas bhar man ko todne lagtaa hai
ReplyDeletedikhtaa to nahee
par andar hee andar insaan ghabraane lagtaa
badhiya
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुन्दर..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
Bahut sundar rachna!
ReplyDeleteचित्र और रचना दोनों अद्वितीय....बधाई...
ReplyDeleteनीरज
बहुत ही खुबसूरत
ReplyDeleteऔर कोमल भावो की अभिवयक्ति......
bahut hi acchi prastuti...
ReplyDeleteगहरे भाव लिए सुंदर रचना।
ReplyDeleteयह गड्ढे,
ReplyDeleteयह अवशेष
जब सतह पर उभरे ...
एक चटखन उस शीशे में बिंध गयी ..
और तुम उस शीशे को...
.फिर कभी न देख सके!
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
bhaavpoorn rachna!
ReplyDeleteबदलाव...दोनों तरफ आ चुका ही!..बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteजिंदगी में बदलाव तो आने ही हैं ....भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteमेरी रचना को आप सबने सराहा .....बहुत ख़ुशी हुई ....आप सबका बहुत बहुत आभार .....यही कुछ शब्द बहुत बड़ा संबल होते हैं ....एक बार फिर ....आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद !!!!!
ReplyDeleteBeautiful.....
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