( माँ आनन्दमयी )
माँ आनन्दमयी का व्यक्तित्व मुझे हमेशा आकर्षित करता रहा ,मेरा मानना है उन की तस्वीर को कोई कुछ देर निहार ले तो आनन्द से भर जाता है ,सच्चे संत की ये ही पहचान होती है ,उन को देखने भर से शान्ति मिल जाती है !
माँ का जन्म, त्रिपूरा के खेडा नाम के गाँव में एक बंगाली परिवार में ३० अप्रैल १८९६ को हुआ था ,१२ वर्ष की आयु में उनका विवाह भोलानाथ जी के साथ हुआ,बचपन से ही कृष्ण की आराधना में लीन रहने वाली माँ आनन्दमयी की भक्ति ,उम्र के साथ -२ परवान चढने लगी ,कृष्ण प्रेम में आकंठ डूब जाने के बाद २६ वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रवचन के माध्यम से ये प्रेम रस जन सामान्य में वितरित करना शुरू किया , उन का शरीर
१९८३ में पञ्च तत्व में विलीन हो गया पर माँ का प्रेम आज भी महसूस किया जा सकता है .
सादर नमन...
ReplyDeleteशुक्रिया इस पोस्ट के लिए.
उनके बारे में जानकार अच्छा लगा.....ये बात आपकी सही है अच्छे लोगों के चेहरे पर एक नूर होता है |
ReplyDeleteसत-सत नमन...
ReplyDeleteजब प्रेम व्यापक हो जाये, शान्ति बरसने लगते हैं...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... सादर नमन
ReplyDeleteyour interest in different feilds is amazing
ReplyDeletei am over whelmed keep it up and keep your urge to do more and more going
बहुत सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति ,बेहतरीन
ReplyDeleteMY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...
विनम्र नमन...
ReplyDeleteजी ऐसा ही होता है प्रेम , माँ आनन्दमयी को नमन
ReplyDeletevery spiritual and motivating.
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