गीत अंतरात्मा के
प्रेम ग्रंथ
बीती यादें
स्वास्थ्य के राज़ रसोई में
Sunday 15 January 2012
तमाम उम्र ढूंढे उसके कदमो के निशां,दश्त -ओ-सहरा में
पर वक्त की तेज आंधी ने तो वो सब मिटा दिए थे ......
मर ही जाते हम,मगर बड़ा हौसला दिया उन्होंने
तेरे दिए कुछ फूल जो किताबों में छुपा दिए थे .........
(दश्त -ओ-सहरा= मैदान और मरुस्थल )
(अवन्ती सिंह )
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