फिर एक नई भोर में , हे दिवाकर तुम्हारा स्वागत है
स्वागत है आदित्य तुम्हारा ,हे भास्कर तुम्हारा स्वागत है
हे प्रभाकर, हे विभावशु, हे दिनकर तुम्हारा स्वागत है
हे सह्स्त्रांशु , हे त्रयोमुर्ती, हे सूर्य , तुम्हारा स्वागत है
तुम अपनी सौम्य रश्मियों से हमे सौम्यता,शान्ति प्रदान करो
भर दो उर्जा मन में अद्धभुत, हमे अपने तेज का दान करो
आकर पावन दर्श तुम्हारा खुद को पावन कर जाये हम
ज्योतिर्मय करे तन को मन को ,तिमिर को दूर भगाए हम
अपनी दया दृष्टि से कृतार्थ करो ,खुद प्रकाशित हों ,जग प्रकाशित कर
जाये हम, करें नमन तुम्हे बार बार, श्रद्धा से शीश झुकाएं हम
स्वागत है आदित्य तुम्हारा ,हे भास्कर तुम्हारा स्वागत है
हे प्रभाकर, हे विभावशु, हे दिनकर तुम्हारा स्वागत है
हे सह्स्त्रांशु , हे त्रयोमुर्ती, हे सूर्य , तुम्हारा स्वागत है
तुम अपनी सौम्य रश्मियों से हमे सौम्यता,शान्ति प्रदान करो
भर दो उर्जा मन में अद्धभुत, हमे अपने तेज का दान करो
आकर पावन दर्श तुम्हारा खुद को पावन कर जाये हम
ज्योतिर्मय करे तन को मन को ,तिमिर को दूर भगाए हम
अपनी दया दृष्टि से कृतार्थ करो ,खुद प्रकाशित हों ,जग प्रकाशित कर
जाये हम, करें नमन तुम्हे बार बार, श्रद्धा से शीश झुकाएं हम