Tuesday, 3 January 2012

नई भोर

फिर एक नई  भोर  में ,  हे   दिवाकर  तुम्हारा   स्वागत है
स्वागत है आदित्य तुम्हारा ,हे भास्कर तुम्हारा स्वागत है 
हे प्रभाकर, हे विभावशु,  हे दिनकर तुम्हारा    स्वागत   है  
हे सह्स्त्रांशु , हे त्रयोमुर्ती,    हे  सूर्य  ,  तुम्हारा  स्वागत है 
तुम अपनी सौम्य रश्मियों से हमे सौम्यता,शान्ति प्रदान करो 
भर दो उर्जा मन में अद्धभुत,   हमे  अपने   तेज  का दान करो 
आकर पावन दर्श  तुम्हारा  खुद  को   पावन   कर   जाये हम
ज्योतिर्मय करे तन को मन को ,तिमिर  को    दूर   भगाए   हम 
अपनी दया दृष्टि से कृतार्थ करो ,खुद   प्रकाशित   हों ,जग प्रकाशित कर 
 जाये हम, करें  नमन तुम्हे  बार   बार, श्रद्धा    से     शीश    झुकाएं    हम
 






5 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर ओजपूर्ण प्रार्थना.
    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार, अवंती जी.

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  2. सुन्दर रचना लिखी है आपने
    सूर्य के पर्यायवाची लिख रहा हूँ .अगर चाहो ,आप इनका भी समावेश कर सकती हैं
    सूर्य,रवि,अरुण,भानु,चित्रभानु,दिनकर,पुष्कर,दिनेश,मिहिर,मार्तण्ड
    विरोचन,तपन,सविता,अंशुमान,अंशुमाली,ग्रहपति
    अब यदि संस्कृत के शब्दों का भी समावेश करें तो वे हैं -
    अर्यमा,द्वादशात्मा,अहस्कर,ब्रध्न,भास्वान,विवस्वान,सप्ताश्व,हरिदश्व

    उष्णरश्मि,विकर्तन,अर्क,मिहित,पूषा,द्युमणि,तरणि,मित्त्र मित्र
    विभावसु,त्विषांपति,अहर्पत,अग,अवि,अब्जबाँधव,अब्जहस्त
    खगपति,सहस्रकिरण,मरीची,यमसू,दिवसेश,दिवस्पति,दिवसकर
    अविनीश,दिवसकृत,दिवसभर्ता,दिवावसु,दिवामणि,दीप्तांशु,सहस्रगु
    ध्वांतशत्रु,ध्वांताराति,भूताक्ष,गविष्ठ,धरुण,तिमिरारि,तिमिरहर
    विश्वप्रकाशक
    विश्वप्स
    स्जगत्साक्षी
    त्रयीमय
    नभस्मय
    नभोमणि
    चक्रबान्धव
    तीक्ष्णांशु
    तुंगीश
    पद्मिनीवल्लभ
    पद्मबंधु
    पद्मिनीश
    पद्मगर्भ
    अयुग्मवाह
    द्युपति
    अरणी
    तपु
    दिव्यांशु
    निर्मुट
    कालेश
    गोकर
    केश
    तपस
    अवबोधक
    वेधा
    अवरव्रत
    निदाघकर
    प्रत्यूष
    अशिर

    इसके अलावा उर्दू में सूर्य के लिए प्रयुक्त शब्द “आफ़ताब” का भी कभी-कभी हिन्दी प्रयोग कर लिया जाता है।

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  3. राकेश जी, सुरेन्द्र जी, रचना पसंद करने के लिए दिल से शुक्रिया....निरंतर जी आप के ज्ञान को मेरा शत शत नमन है,ज्ञानवर्धन और रचना को पसंद करने का बहुत बहुत शुक्रिया.....

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  4. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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