समाज में सोये हुए लोगों की भीड़ कुछ बढ़ सी गयी है !१००० लोगों का स्वाइन फ्लू से मर जाना इसका एक प्रमाण है ,थोड़ी सी जागरूकता इन लोगों को बचा सकती थी ,सोचिये यदि इन के चेहरे पर मास्क लगा होता,घर आकर ठीक से हाथ मुह धोये होते तो किसी बहन का भाई किसी माँ का बेटा आज उसके साथ होता,क्या हम भी इस गुनाह के भागीदार है ? क्या हम ने अपना योगदान दिया जागरूकता फ़ैलाने में ? यदि नहीं तो अभी भी इस कार्य को किया जा सकता है,ये खबरे टीवी चैनल अब काम दिखा रहें है ,पर जितनी भी खबरें इस विषय में आ रही है उससे ये ही समझ आ रहा है के बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है ,हम लोगों की उदासीनता का ये असर न हो के गुजरात की तरह पुरे भारत में धारा 144 लगानी पड़े सरकार को ! इसे एक अभियान की तरह लें, कमर कस लीजिये जागरूकता लाने में! सावधानी