करके अहसान किसी पर, अगर जता भी दिया
तो फिर वो अहसान कैसा, किया, किया, ना किया
रहो खामोश, अगर दर्द किसी का बांटो
करोगे चर्चे तो फिर गम हल्का,किया,किया ना किया
तजुर्बे, जिन्दगी की राह में गर काम ना आये
तो फिर वो खाक तजुर्बा था,किया, किया, ना किया
तुम्हारी हसरतों पर गर पकड रही ना तुम्हारी
जिया तो जीवन तुम ने,मगर जिया, जिया, ना जिया
किसी की आँख के आंसू , अगर तुम पौंछ ना पाए
सजदे में सर खुदा के , दिया, दिया, ना दिया
सफाई दिल की कालिख की अगर तुम कर नहीं पाए
स्नान गंगा में जाकर, किया, किया, ना किया
तुम्हारे घर में ही गर तुम पे उठ रही है उंगलियाँ
सलाम दुनिया ने तुम को, किया, किया, ना किया
पुकारे जब भी धरती माँ, तो उठ चलना हुंकार के
कहेगी वरना ये धरा, जन्म इस ने लिया,लिया,ना लिया
(अवन्ती सिंह )
तो फिर वो अहसान कैसा, किया, किया, ना किया
रहो खामोश, अगर दर्द किसी का बांटो
करोगे चर्चे तो फिर गम हल्का,किया,किया ना किया
तजुर्बे, जिन्दगी की राह में गर काम ना आये
तो फिर वो खाक तजुर्बा था,किया, किया, ना किया
तुम्हारी हसरतों पर गर पकड रही ना तुम्हारी
जिया तो जीवन तुम ने,मगर जिया, जिया, ना जिया
किसी की आँख के आंसू , अगर तुम पौंछ ना पाए
सजदे में सर खुदा के , दिया, दिया, ना दिया
सफाई दिल की कालिख की अगर तुम कर नहीं पाए
स्नान गंगा में जाकर, किया, किया, ना किया
तुम्हारे घर में ही गर तुम पे उठ रही है उंगलियाँ
सलाम दुनिया ने तुम को, किया, किया, ना किया
पुकारे जब भी धरती माँ, तो उठ चलना हुंकार के
कहेगी वरना ये धरा, जन्म इस ने लिया,लिया,ना लिया
(अवन्ती सिंह )