कविता, ये कविता आखिर क्या होती है !
तेरे और मेरे जीवन की इसमें छुपी व्यथा होती है!!
कभी तो हंसती, मुस्काती, कभी ये बार बार रोती है!
पावँ में इस के कभी है छाले,कभी रिसते घाव धोती है!!
कविता, ये कविता आखिर क्या होती है ..............
मन की तड़प छुपा लेती और बीज ख़ुशी के ये बोती है!
सपन सलोने हम को देती,पर क्या कभी खुद भी सोती है!!
कविता, ये कविता आखिर क्या होती है............
उम्मीदे न टूटे हमारी, सदा ये यत्न प्रयत्न करती है !
न उम्मीदी की कई गठरियाँ, ये चुपके चुपके ढ़ोती है!!
कविता, ये कविता आखिर क्या होती है.....
( अवन्ती सिंह )