मुद्दतों पहले जो डूबी थी वो पूंजी मिल गयी
जो कभी दरिया में फेंकी थी वो नेकी मिल गयी
ख़ुदकुशी करने पे आमादा थी नाकामी मेरी
फिर मुझे दिवार पर चढ़ती ये चीटी मिल गयी
मैं इसी मिटटी से उठ्ठा था बबूले की तरह,और
फिर एक दिन इसी मिट्टी में मिट्टी मिल गयी
मैं इसे इनाम समझूँ या सज़ा का नाम दूँ
उंगलियाँ कटते ही तोहफे में अंगूठी मिल गयी
फिर किसी ने लक्ष्मी देवी को ठोकर मार दी
आज कूड़ेदान में फिर एक बच्ची मिल गयी
(मुनव्वर राना)
जो कभी दरिया में फेंकी थी वो नेकी मिल गयी
ख़ुदकुशी करने पे आमादा थी नाकामी मेरी
फिर मुझे दिवार पर चढ़ती ये चीटी मिल गयी
मैं इसी मिटटी से उठ्ठा था बबूले की तरह,और
फिर एक दिन इसी मिट्टी में मिट्टी मिल गयी
मैं इसे इनाम समझूँ या सज़ा का नाम दूँ
उंगलियाँ कटते ही तोहफे में अंगूठी मिल गयी
फिर किसी ने लक्ष्मी देवी को ठोकर मार दी
आज कूड़ेदान में फिर एक बच्ची मिल गयी
(मुनव्वर राना)