समाज में सोये हुए लोगों की भीड़ कुछ बढ़ सी गयी है !१००० लोगों का स्वाइन फ्लू से मर जाना इसका एक प्रमाण है ,थोड़ी सी जागरूकता इन लोगों को बचा सकती थी ,सोचिये यदि इन के चेहरे पर मास्क लगा होता,घर आकर ठीक से हाथ मुह धोये होते तो किसी बहन का भाई किसी माँ का बेटा आज उसके साथ होता,क्या हम भी इस गुनाह के भागीदार है ? क्या हम ने अपना योगदान दिया जागरूकता फ़ैलाने में ? यदि नहीं तो अभी भी इस कार्य को किया जा सकता है,ये खबरे टीवी चैनल अब काम दिखा रहें है ,पर जितनी भी खबरें इस विषय में आ रही है उससे ये ही समझ आ रहा है के बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है ,हम लोगों की उदासीनता का ये असर न हो के गुजरात की तरह पुरे भारत में धारा 144 लगानी पड़े सरकार को ! इसे एक अभियान की तरह लें, कमर कस लीजिये जागरूकता लाने में! सावधानी
Friday 27 February 2015
Thursday 26 February 2015
भारत का राष्ट्रीय वृक्ष
भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है ! बरगद को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है ,बरगद में एन्टीऑक्सीडेंट काफी पाये जाते है इस ही कारण वृद्धावस्था के कई रोगों में इसका उपयोग किया जाता है ,इस की कोमल जतए पीस कर चेहरे पर लगाने से झुर्रियां समाप्त होती है ,मूत्र विकार,दांतों का हिलना ,दर्द इत्यादि में इसका खूब इस्तेमाल होता है ,किसी भी प्रकार के घाव को भरने के लिए इसके पत्तों को गर्म करके बंधने से लाभ होता है इसकी पत्तीओं को सुख कर चूर्ण बना ले और शहद के साथ नित्य प्रति सेवन से याददाश्त बढ़ती है ,नित्य प्रति,इस पर जल चढ़ाने से हमारे अनेक संकट दूर होते है ,घर के आस पास या मंदिर में ,पार्क में इस वृक्ष अवश्य लगाएं, तथा औरों को भी प्रेरित करें !
Monday 23 February 2015
कुछ शेर
कुमार विश्वास की कलम से निकले चंद शेर मुझे बहुत पसंद है ,आप भी इनका लुत्फ़ उठायें
____________________________________________________________________
तुम्हे जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे खून में पानी बहुत है !
जहर,सूली ने,गाली ,गोलियों ने
हमारी ज़ात पहचानी बहुत है
इरादा कर लिया गर खुदखुशी का
तो अपनी आँख का पानी बहुत है
=======================
पुकारे आँख में चढ़कर, तो खु को खु समझता है
अँधेरा किस को कहते है ये बस जुगनू समझता है
हमे तो चाँद -तारों में भी तेरा रूप दिखता है
मोहब्ब्त में नुमाइश को अदाये तू समझता है !
=================================
रूह -जिस्म का ठौर -ठिकाना चलता रहताहै
जीना मारना, खोना पाना चलता रहता है !
सुख दुःख वाली चादर ,बढ़ती घटती रहती है
मौला तेरा ताना बाना चलता रहता है !
इश्क करो तो जीते जी मर जाना पड़ता है
मर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है
जिन नज़रों ने रोग लगाया गज़लें कहने का
आज तलक उन को नज़राना चलता रहता है !
(कुमार विश्वास )
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तुम्हे जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे खून में पानी बहुत है !
जहर,सूली ने,गाली ,गोलियों ने
हमारी ज़ात पहचानी बहुत है
इरादा कर लिया गर खुदखुशी का
तो अपनी आँख का पानी बहुत है
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पुकारे आँख में चढ़कर, तो खु को खु समझता है
अँधेरा किस को कहते है ये बस जुगनू समझता है
हमे तो चाँद -तारों में भी तेरा रूप दिखता है
मोहब्ब्त में नुमाइश को अदाये तू समझता है !
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रूह -जिस्म का ठौर -ठिकाना चलता रहताहै
जीना मारना, खोना पाना चलता रहता है !
सुख दुःख वाली चादर ,बढ़ती घटती रहती है
मौला तेरा ताना बाना चलता रहता है !
इश्क करो तो जीते जी मर जाना पड़ता है
मर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है
जिन नज़रों ने रोग लगाया गज़लें कहने का
आज तलक उन को नज़राना चलता रहता है !
(कुमार विश्वास )
Wednesday 18 February 2015
स्वाइन फ्लू
जाग जाइये ! क्युकि सरकारे सो रही है !
स्वाइन फ्लू
इस बीमारी ने देश के कई राज्योँ में अपना आतंक फैलाया हुआ है , बिना जागरूकता के ये बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है ! चुनाव में पानी की तरह पैसे बहाने वाली सरकारे ,लोगों को बीमारी से बचने के बारे में कोई भी जानकारी या प्रचार बिलकुल ध्यान नहीं दे रही हैलक्षण
यदि किसी व्यक्ति को सर्दी-खांसी है और उसके साथ उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है या 101 डिग्री से ज़्यादा का बुखार है तो इसे बिलकुल नज़रंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये लक्षण स्वाइन फ़्लू के हो सकते हैं।
हर बार सर्दी-खांसी स्वाइन फ़्लू का संकेत नहीं देती, फिर भी सर्दी-खांसी होने पर अतिरिक्त सावधानी रखना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि उसके साथ यदि सांस लेने में तकलीफ होने लगे या तेज़ बुखार आ जाए तो तुरंत किसी अस्पताल में जाकर जांच कराना चाहिए, क्योंकि ज़्यादातर मामलों में ऐसी स्थिति स्वाइन फ़्लू का संकेत देती है और इसका का इलाज जितनी जल्दी शुरू किया जाए इससे बचने की संभावनाएं उतनी ज़्यादा बढ़ जाती हैं। ऐसी स्थिति में आराम करने के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए, ताकि डी-हाइड्रेशन ना हो। वर्ना मर्ज बढ़ सकता है।
सावधानी
अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है के मेट्रो में यात्रा के दौरान ,बीमारी एक से लग जाने का खतरा काफी है,मेट्रो में काफी भीड़ के कारण लोग काफी आस पास खड़े होते है ,मैट्रो का दरवाजा बंद होता है ताज़ी हवा आने का कोई माध्यम नहीं रहता सब उस ही हवा में सांस ले रहे होते है ,अपने मुह पर मास्क जरूर लगाये और वापस अपने स्थान पर पहुंच कर अच्छे से मुह-हाथ साफ़ करें !
(1) इस बीमारी से बचने के लिए हाइजीन का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए. खांसते समय और झींकते समय टीशू से कवर रखें. इसके बाद टीशू को नष्ट कर दें.
(2) बाहर से आकर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं और एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
(3) जिन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण हों तो उन्हें मास्क पहनना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए.
(4) स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से क्लोज कॉंटेक्ट से बचें. हाथ मिलाने से बचें. रेग्यूलर ब्रेक पर हाथ धोते रहें.
(5) जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और तीन-चार दिन से हाई फीवर हो, उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
(6) स्वाइन फ्लू के टेस्ट के लिए गले और नाक के द्रव्यों का टेस्ट होता है जिससे एच1एन1 वायरस की पहचान की जाती है. ऐसा कोई भी टेस्ट डॉक्टर की सलाह के बाद ही करवाएं.
स्वाइन फ्लू ,या अन्य किसी प्रकार के फ्लू के लिए ये काढ़ा सहायक औषधि के रूप में काफी कारगर है
एक टुकड़ा दालचीनी
एक इलायची
३,४, लौंग
जरा सी मुलेठी
एक छोटा टुकड़ा अदरक
कुछ दाने काली मिर्च
तुलसी के कुछ पत्ते
इन सब को आधा लीटर पानी में उबाले , एक चौथाई रह पर छान कर,गुनगुना ही पीये ,ये सब आप चाय में भी डाल सकते है ,अगर बीमारी अधिक बड़ गयी हो तो थोड़ी नीम की छाल और गिलोय भी डाल ले किन्तु नीम की छाल और गिलोय को चाय में नहीं सिर्फ काढ़े में डाला जा सकता है,दिन में २ बार इस काढ़े का उपयोग करें !
जो लोग बीमार नहीं है वे भी ये काढ़ा दिन में एक बार पीये तो बीमारी से बचे रहेंगे
नोट :- इस काढ़े में मुलेठी की मात्रा सबसे अधिक रखें ये काढ़े को आसानी से पचने लायक बनती है किन्तु जिन्हे डायबटीज हो वे मुलेठी नहीं डाले
( प्याज के ४ टुकड़े करके घर में अपने आस पास रखें और बीमार को सूंघने को दें,किसी भी प्रकार के वायरस को इससे नियंत्रित किया जा सकता है )
एक टुकड़ा दालचीनी
एक इलायची
३,४, लौंग
जरा सी मुलेठी
एक छोटा टुकड़ा अदरक
कुछ दाने काली मिर्च
तुलसी के कुछ पत्ते
इन सब को आधा लीटर पानी में उबाले , एक चौथाई रह पर छान कर,गुनगुना ही पीये ,ये सब आप चाय में भी डाल सकते है ,अगर बीमारी अधिक बड़ गयी हो तो थोड़ी नीम की छाल और गिलोय भी डाल ले किन्तु नीम की छाल और गिलोय को चाय में नहीं सिर्फ काढ़े में डाला जा सकता है,दिन में २ बार इस काढ़े का उपयोग करें !
जो लोग बीमार नहीं है वे भी ये काढ़ा दिन में एक बार पीये तो बीमारी से बचे रहेंगे
नोट :- इस काढ़े में मुलेठी की मात्रा सबसे अधिक रखें ये काढ़े को आसानी से पचने लायक बनती है किन्तु जिन्हे डायबटीज हो वे मुलेठी नहीं डाले
( प्याज के ४ टुकड़े करके घर में अपने आस पास रखें और बीमार को सूंघने को दें,किसी भी प्रकार के वायरस को इससे नियंत्रित किया जा सकता है )
कपूर को भी कीटाणुनाशक के रूप में आयुर्वेद में मान्यता प्राप्त है ,इसे किसी सूती कपड़े में रख कर सूंघे ,अपने घर में या जहाँ भी आप हों कुछ टुकड़े कपूर के अवश्य रखें व्,हवा में इसकी खुशब फैलने से कीटाणु खत्म होंगे
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