तुम कब तक नकारते रहोगे मुझे
मेरे उस अस्तित्व को ,जो कब का
तुम में विलीन हो चूका है ......
और तुम मेरे होने ,न होने को सिर्फ
मेरे जिस्म की उपस्तिथि से आँक रहे हो
झांको खुद में ,और देखो ,मैं तो तुम्हारे
हृदय के सिघासन पर विराजमान हूँ
और तुम्हारे सम्पूर्ण अस्तित्व ने स्वीकार
कर लिया है मेरे साम्राज्य को ....
सिवा तुम्हारे..........
मेरे उस अस्तित्व को ,जो कब का
तुम में विलीन हो चूका है ......
और तुम मेरे होने ,न होने को सिर्फ
मेरे जिस्म की उपस्तिथि से आँक रहे हो
झांको खुद में ,और देखो ,मैं तो तुम्हारे
हृदय के सिघासन पर विराजमान हूँ
और तुम्हारे सम्पूर्ण अस्तित्व ने स्वीकार
कर लिया है मेरे साम्राज्य को ....
सिवा तुम्हारे..........
(अवन्ती सिंह)
आग्रही समर्पण या कोई और शब्द, सर्वथा नया विचार।
ReplyDeleteshukriya aap ka....
Deleteलेकिन जब हम मिल जाते हैं,खो जाता है कौन।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई.....
Deleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteshukriyaa aap ka...
Deletesubmission in totality
ReplyDeleteI wish....
shukriya Nirantar ji....
Deleteliked it!
ReplyDelete:)
बहुत बहुत शुक्रिया Amit जी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
Deleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया maheshwariजी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
Deleteऔर तुम्हारे सम्पूर्ण अस्तित्व ने स्वीकार
ReplyDeleteकर लिया है मेरे साम्राज्य को ....
सिवा तुम्हारे..........
वाह...बहुत ही प्रभावी अभिव्यक्ति
वाह ...बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया anju जी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
Deleteबहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया Kailash जी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई.......
Deleteबहूत हि बेहतरीन प्रभावशाली अभिव्यक्ती है --
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया Reena जी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
Delete....इसको कहते हैं गाफ़िल की चेतना को ठकठकाना.....
ReplyDeleteशुक्रिया अशोक जी ,आप को यहाँ देख कर ख़ुशी हुई,उम्मीद है कुछ दिन में आप का ब्लॉग भी देखने को मिले हम लोगों को ,आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई..........
Deleteबहुत सुन्दर...आत्म में लींन होना ही सच्चा समर्पण है.....
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया vidya जी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई...
Deleteऔर तुम मेरे होने ,न होने को सिर्फ
ReplyDeleteमेरे जिस्म की उपस्तिथि से आँक रहे हो
झांको खुद में ,और देखो ,मैं तो तुम्हारे
हृदय के सिघासन पर विराजमान हूँ
और तुम्हारे सम्पूर्ण अस्तित्व ने स्वीकार
कर लिया है मेरे साम्राज्य को ....
सिवा तुम्हारे..........
सुन्दर प्रस्तुति..
बहुत बहुत शुक्रिया Punam जी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई....
Deleteभाब निश्चित हैं बहुत गहरे,
ReplyDeleteजो हृदय में हो गये अंकित।
डूबना कविता में स्वाभाविक,
तारीफ के काबिल यह निश्चित।
कृपया इसे भी पढ़े
क्या यही गणतंत्र है
शुक्रिया..... ,आप ki rachna bahut hi umda hai....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई..........
Deleteझांको खुद में ,और देखो ,मैं तो तुम्हारे
ReplyDeleteहृदय के सिघासन पर विराजमान हूँ
और तुम्हारे सम्पूर्ण अस्तित्व ने स्वीकार
कर लिया है मेरे साम्राज्य को ....
सिवा तुम्हारे..........
BAHUT HI SUNDAR .....YATHARTH CHINTAN ...BADHAI AWANTI JI.
bahut -2 shukriya aap ka...आप सब को bhi गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई.....
Deleteबहुत गहरी संवेदना........सम्पूर्ण अस्तित्व और तुम में 'मैं' का भेद शेष है अभी..........बहुत ही सुन्दर.........हैट्स ऑफ इसके लिए |
ReplyDeleteक्या आप फेसबुक पर भी हैं ?
बहुत बहुत शुक्रिया....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई..... जी मैं FB पर भी हूँ कैलाश जी ,यशवंत जी,अशोक जी हम सब एक ही मित्र मण्डली में है
Deleteबहुत ही गहरे भाव और संवेदनशील रचना.......
ReplyDeleteshukriya.....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई.....
Deleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDelete----------------------------
कल 27/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत बहुत शुक्रिया यशवंत जी....आप को bhi गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई....
Deleteआप को bhi गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई.....
ReplyDeleteसुन्दर कटाक्ष है.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया Alka जी....आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
Deleteशुक्रिया Yashwant जी....
ReplyDeleteगहरी संवेदनाएं.सुन्दर विचार.
ReplyDeleteब्लॉग पर होसला अफजाई का बहुत शुक्रिया.
बहुत सुंदर प्रस्तुति, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए...
ReplyDeleteएक ब्लॉग सबका
Avanti ji, ek aur umda rachna!.. bahut pyara likha hai aapne! badhai...
ReplyDeleteसहज भाव किन्तु गहरे अर्थ संप्रेषित करता है .....!
ReplyDeleteऔर तुम्हारे सम्पूर्ण अस्तित्व ने स्वीकार
ReplyDeleteकर लिया है मेरे साम्राज्य को ....
सिवा तुम्हारे..........
गहन भावों का बेहतरीन शब्द संयोजन .....
गहरे भाव।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
सुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसंपूर्ण समर्पण ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएं....