बढ़िया प्रस्तुति...आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 23-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
एक बार फिर हम पर तेज़ाब डाला गयाएक बार फिरहम परतेज़ाब डाला गयाहम परलांछन लगाया गयाहमारे चेहरे कोझुलसाया गयाचेहरे पर चेहरा चढ़ाबताया गयाउन्होंने भी कियाजो अब तक सबने कियावही समझा जोअब तक सबने समझाकसूर उनका नहींहमारी किस्मत का हैपहले से झुलसे चेहरे कोछुपा कर रखने कागुनाह जो करते हैंनिरंतर हँसते रहते हैंनए दोस्त बनाते हैंउनसेगले लग कर मिलते हैंसाफ़ दिल काहोते हुए भी मनों मेंशक पैदा करते हैंशक ने दुनिया को माराहमको भी मारेतो क्या फर्क पड़ताफिर झुलसे चेहरे परनया चेहरा चढ़ा लेंगेमन में रोते रहेंगेदिखाने को हँसते रहेंगे22-01-201272-72-01-12
nice poem..
sorry .forgot to admre your creation,very nice
koi baat nahi nirantar ji ,shukriya jo aap ne meri rachna pasnd aaee
साँस अभी बाकी है, आस अभी बाकी है...बहुत सुन्दर..
shukriya prveen ji
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
sushma ji aabhar aap ka
कहर और बरपा ऐ जिंदगी मुझ में हौसलों की कमी नहीं हौसला भर देने वाली,जोशीली रचना।
shukriya aap ka
बहुत सुन्दर..ताकतवर रचना...
shukriya Vidya ji
sundar abhivykti...
shukriya Reena ji
अभी मेरी पीठ में, खंज़र कुछ और समा सकते है, ना रुक कहर और बरपा ऐ जिंदगी मुझ में हौसलों की कमी नहीं बहुत सुंदर व मार्मिक भाव।
shukriya mishra ji...
बहुत सुंदर कविता। मन को छू गयी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
shukriya prem sarovar ji...
बहुत बढ़िया!
bahut bahut aabhaar...
अभी मेरी पीठ में, खंज़र कुछ और समा सकते है, ना रुक कहर और बरपा ऐ जिंदगी मुझ में हौसलों की कमी नहीं \ wah ......kya khoob likha hai ....sachmuch jindgi emthaan leti hai.
shukriya naveen ji...
shukriya Yashwant ji
कहर और बरपा ऐ जिंदगी मुझ में हौसलों की कमी नहींबहुत गहरी बात कह दी आपने इस रचना के माध्यम से।सच है, साहस ही जिंदगी है।
BAHUT SUNDAR
वाह बहुत खूब
"लडखडा तो गए है कदम मगर अभी पाँव ने छोड़ी जमी नहीं"बहुत खूब!
कहर और बरपा ऐ जिंदगी मुझ में हौसलों की कमी नहीं बहुत सुंदर बात कही है. ऐसे समय ही असली पहचान होती है आदमी की.
.कहर और बरपा ऐ जिंदगी मुझ में हौसलों की कमी नहीं आपके हौसलों को सलाम !ज़िंदादिली से भरपूर प्रेरक रचना के लिए आभार !दुआएं हैं, आपकी ज़िंदगी तीर नहीं फूल बरसाए… आमीन !शुभकामनाओं सहित
हौसले से भरपूर रचना को नमन
बहुत सुन्दर आशावादी कविता |आशा
बहुत सुंदर कविता मन को छू गयी ।
mere dil ki bat kh di aisa padhkr lga.thanks.
हौसला हो तो जिंदगी को भी चैलेन्ज किया जा सकता है ..बहुत खूबसूरत रचना
बहुत खूब.......शानदार हैं सारे शेर|
Sundar rachna..Ek se badhkar ek sher...मेरे ब्लॉग में भी पधारें..मेरी कविता
inspiring! great! :)
कहर और बरपा ऐ जिंदगी मुझ में हौसलों की कमी नहीं वाह क्या जज्बा है ...बहुत सुन्दर !!!
बढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 23-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
एक बार फिर हम पर तेज़ाब डाला गया
ReplyDeleteएक बार फिर
हम पर
तेज़ाब डाला गया
हम पर
लांछन लगाया गया
हमारे चेहरे को
झुलसाया गया
चेहरे पर चेहरा चढ़ा
बताया गया
उन्होंने भी किया
जो अब तक सबने किया
वही समझा जो
अब तक सबने समझा
कसूर उनका नहीं
हमारी किस्मत का है
पहले से झुलसे चेहरे को
छुपा कर रखने का
गुनाह जो करते हैं
निरंतर हँसते रहते हैं
नए दोस्त बनाते हैं
उनसे
गले लग कर मिलते हैं
साफ़ दिल का
होते हुए भी मनों में
शक पैदा करते हैं
शक ने दुनिया को मारा
हमको भी मारे
तो क्या फर्क पड़ता
फिर झुलसे चेहरे पर
नया चेहरा चढ़ा लेंगे
मन में रोते रहेंगे
दिखाने को हँसते रहेंगे
22-01-2012
72-72-01-12
nice poem..
Deletesorry .forgot to admre your creation,
ReplyDeletevery nice
koi baat nahi nirantar ji ,shukriya jo aap ne meri rachna pasnd aaee
Deleteसाँस अभी बाकी है, आस अभी बाकी है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
shukriya prveen ji
Deleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeletesushma ji aabhar aap ka
Deleteकहर और बरपा ऐ जिंदगी
ReplyDeleteमुझ में हौसलों की कमी नहीं
हौसला भर देने वाली,जोशीली रचना।
shukriya aap ka
Deleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteताकतवर रचना...
shukriya Vidya ji
Deletesundar abhivykti...
ReplyDeleteshukriya Reena ji
Deleteअभी मेरी पीठ में, खंज़र कुछ
ReplyDeleteऔर समा सकते है, ना रुक
कहर और बरपा ऐ जिंदगी
मुझ में हौसलों की कमी नहीं
बहुत सुंदर व मार्मिक भाव।
shukriya mishra ji...
Deleteबहुत सुंदर कविता। मन को छू गयी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteshukriya prem sarovar ji...
Deleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeletebahut bahut aabhaar...
Deleteअभी मेरी पीठ में, खंज़र कुछ
ReplyDeleteऔर समा सकते है, ना रुक
कहर और बरपा ऐ जिंदगी
मुझ में हौसलों की कमी नहीं \
wah ......kya khoob likha hai ....sachmuch jindgi emthaan leti hai.
shukriya naveen ji...
Deleteshukriya Yashwant ji
ReplyDeleteकहर और बरपा ऐ जिंदगी
ReplyDeleteमुझ में हौसलों की कमी नहीं
बहुत गहरी बात कह दी आपने इस रचना के माध्यम से।
सच है, साहस ही जिंदगी है।
BAHUT SUNDAR
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDelete"लडखडा तो गए है कदम मगर
ReplyDeleteअभी पाँव ने छोड़ी जमी नहीं"
बहुत खूब!
कहर और बरपा ऐ जिंदगी
ReplyDeleteमुझ में हौसलों की कमी नहीं
बहुत सुंदर बात कही है. ऐसे समय ही असली पहचान होती है आदमी की.
.
ReplyDeleteकहर और बरपा ऐ जिंदगी
मुझ में हौसलों की कमी नहीं
आपके हौसलों को सलाम !
ज़िंदादिली से भरपूर प्रेरक रचना के लिए आभार !
दुआएं हैं, आपकी ज़िंदगी तीर नहीं फूल बरसाए… आमीन !
शुभकामनाओं सहित
हौसले से भरपूर रचना को नमन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आशावादी कविता |
ReplyDeleteआशा
बहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteमन को छू गयी ।
mere dil ki bat kh di aisa padhkr lga.thanks.
Deleteहौसला हो तो जिंदगी को भी चैलेन्ज किया जा सकता है ..बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत खूब.......शानदार हैं सारे शेर|
ReplyDeleteSundar rachna..Ek se badhkar ek sher...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में भी पधारें..
मेरी कविता
inspiring! great! :)
ReplyDeleteकहर और बरपा ऐ जिंदगी
ReplyDeleteमुझ में हौसलों की कमी नहीं
वाह क्या जज्बा है ...बहुत सुन्दर !!!