क्या कहिये ऐसी हालत में कौन समझने वाला है
सब की आँखों पे पर्दा है हर एक जुबां पर ताला है
किस के आगे सर पटकें और चिल्लाये किस के आगे
एक हाथ में छुपा है खंज़र , एक से जपते माला है
करनी और कथनी में अंतर ,आसमाँ और ज़मीं का है
कहते थे क्या क्या कर देगें,पर बस बातों में टाला है
के लिए रखी गयी ,मैं ने कोशिश की पर क्यूकि मुझे ग़ज़ल के नियम पता नहीं
है के कैसे लिखते है ,तो ये उस मुशायरे के नाकाबिल साबित हुई,यहाँ में इसे ग़ज़ल
के रूप में नहीं सिर्फ अपनी एक रचना के रूप में रख रही हूँ )
(अवन्ती सिंह)
har shakhsh yahee kar rahaa hai
ReplyDeletewaqt kaa dastoor nibhaa rahaa hai
chehre par chehraa chadhaa kar ghoom rahaa hai
किस के आगे सर पटकें और चिल्लाये किस के आगे
ReplyDeleteएक हाथ में छुपा है खंज़र , एक से जपते माला है
बिलकुल सही बात कही है आपने।
सादर
बहुत खूब..
ReplyDeleteकिस के आगे सर पटकें और चिल्लाये किस के आगे
ReplyDeleteएक हाथ में छुपा है खंज़र , एक से जपते माला है
करनी और कथनी में अंतर ,आसमाँ और ज़मीं का है
कहते थे क्या क्या कर देगें,पर बस बातों में टाला है
Rajneton pr karara prhar kiya hai.....are bhai ye hain hi esi layak
अच्छा है..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
आपका प्रयास बेहतरीन है,चिंगारी भड़क रही है !
ReplyDeleteबेहतरीन प्रयास अवन्ती जी
ReplyDeleteअच्छी रचना है..
बहुत अच्छे...
ReplyDeleteगज़ल हो या गीत...
भाव बेहतरीन है..
शुभकामनाएँ.
हकीकत बयानी है।
ReplyDeleteसार्थक अभिवयक्ति......
ReplyDeleteकथनी और करनी में यदि अंतर न हो तब कुछ तो अच्छा होपाए पर ऐसा नहीं होता |बहुत सुन्दर बात कही है "
ReplyDeleteकथनी और करनी में अंतर आसमां और जमीं का है |
आशा
साधु-साधु
ReplyDeleteकोई नहीं जी निराश नहीं होते.....आपने बहुत अच्छा लिखा है शेरों में बहुत गहराई है......मेले झमेले से दूर ही रहे तो अच्छा है :-)
ReplyDeleteumda khayaal hain...badhai sweekar karen
ReplyDeleteये तो वही वाला हिसाब है -दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय .बहुत अच्छी रचना है व्यंग्य प्रधान .
ReplyDeleteबात तो एकदम सही है. बधाई.
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