आशा की किरण
रात गयी सो बात गयी, देखो, एक नई सुबह हुई!
आशा की नई किरणे, बाहें फैलाये बुलाये अपने आगोश में!!
आज मन में जागी है नई उमंगे, और नई उम्मीद से सजी है जिंदगी!
आज हूँ मैं आज़ाद पंछी की तरह, तैयार ऊँची उड़ाने भरने के लिए!!
होंसले है बुलंद, और पक्के है इरादे मन में मेरे!
अब न कोई रोक पायेगा मुझे, और ना मैं कभी पीछे हटूंगी !!
कहने को हूँ मैं अबला नारी, लेकिन मुझ में भी है साहस भारी !
अब ना देखूं पीछे मुड़ कर, मुझे तो बस आगे बढना है!!
और बढते ही जाना है, जब तक ना पा लूँ मैं मंजिल अपनी!
रात गयी सो बात गयी ...............
(एक अनजान शायर )
रात गयी सो बात गयी, देखो, एक नई सुबह हुई!
आशा की नई किरणे, बाहें फैलाये बुलाये अपने आगोश में!!
आज मन में जागी है नई उमंगे, और नई उम्मीद से सजी है जिंदगी!
आज हूँ मैं आज़ाद पंछी की तरह, तैयार ऊँची उड़ाने भरने के लिए!!
होंसले है बुलंद, और पक्के है इरादे मन में मेरे!
अब न कोई रोक पायेगा मुझे, और ना मैं कभी पीछे हटूंगी !!
कहने को हूँ मैं अबला नारी, लेकिन मुझ में भी है साहस भारी !
अब ना देखूं पीछे मुड़ कर, मुझे तो बस आगे बढना है!!
और बढते ही जाना है, जब तक ना पा लूँ मैं मंजिल अपनी!
रात गयी सो बात गयी ...............
(एक अनजान शायर )
SHUKRIYA!
ReplyDeleteSHUKRIYA MAM ACHI KAVITA CHUNI HAI AAP NE APNE BLOG KE LIYE, UMMID HAI AAP KI AUR ANAY LEKHKO KI AISI AUR ACHI KAVITAYE PADNE KO MILTI RHEGI
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