कमल का फूल
ये जो कमल का फूल है , ये इस दुनिया का तो नहीं लगता
कैसे कीचड़ का एक कण भी, इसके निर्मल तन पर नहीं टिकता?
हम तो अपने आस पास बिखरे दुर्गुणों से निर्लेप रह पाते नहीं है ?
मन को अपने हम क्यूँ इतना स्वच्छ रख पाते नहीं है ?
इस ही कमी के कारण शायद हम ईश्वर को नहीं पा पाते है और
इस ही कमी के कारण शायद हम ईश्वर को नहीं पा पाते है और
कमल सहज ही ईश्वर के चरणों में,हाथों में और मस्तक पर चढ़ जाते है !
Mann ke liye aapka ye sanshodhan achha laga.Atmanirikshan karna jaroori hai kabhi kabhi!
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