मिल कर ढूंढे वो सूरज जो, अंतस में उजियारा भर दे
अँधियारा मन का हर ले जो, आत्मा को पूर्ण प्रकाशित कर दे
लायें ढूंढ़ कर वो बहारें जो ,हर एक डाली को हरित करें
हर डाली पर सुख की कलियाँ हो, हर पेड़ संतोष के फल दे
सागर से कहें ,वो बादल गढ़, जो स्नेह का जल बरसा जाये
वो स्नेह बहें हर एक मन में और कटुता को पिघला जाये
एक नया चाँद भी लाना है जो, नव-रश्मियाँ हम तक पहुचाये
हर मन में प्रीत का ज्वार उठे , जग प्रीत भवर में खो जाये
अँधियारा मन का हर ले जो, आत्मा को पूर्ण प्रकाशित कर दे
लायें ढूंढ़ कर वो बहारें जो ,हर एक डाली को हरित करें
हर डाली पर सुख की कलियाँ हो, हर पेड़ संतोष के फल दे
सागर से कहें ,वो बादल गढ़, जो स्नेह का जल बरसा जाये
वो स्नेह बहें हर एक मन में और कटुता को पिघला जाये
एक नया चाँद भी लाना है जो, नव-रश्मियाँ हम तक पहुचाये
हर मन में प्रीत का ज्वार उठे , जग प्रीत भवर में खो जाये
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteअच्छी आशावादी प्रस्तुति अवंती जी...
मिल कर ढूंढे वो सूरज जो, अंतस में उजियारा भर दे
ReplyDeleteअँधियारा मन का हर ले जो, आत्मा को पूर्ण प्रकाशित कर दे
paraaye ko apnaa samajh le
dard uske kam kar de
khud sahle usko hansaa de
सही है जी....
ReplyDeleteसागर से कहें,वो बादल गढ़,जो स्नेह का जल बरसा जाये
वो स्नेह बहें हर एक मन में और कटुता को पिघला जाये।
लेकिन इतना स्पेस क्यों दिया है जी... लगता है सब कुछ समाहित कर लेना चाहते हो आप...
Sundar rachna! Badhaaeeeee!
ReplyDeleteलायें ढूंढ़ कर वो बहारें जो ,हर एक डाली को हरित करें
ReplyDeleteहर डाली पर सुख की कलियाँ हो, हर पेड़ संतोष के फल दे
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
सुन्दर सारगर्भित रचना
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteसागर से कहें ,वो बादल गढ़, जो स्नेह का जल बरसा जाये
ReplyDeleteवो स्नेह बहें हर एक मन में और कटुता को पिघला जाये
bahut sundar...mere blog par bhi aapka swagat hai :)
सागर से कहें ,वो बादल गढ़, जोस्नेह का जल बरसा जाये
ReplyDeleteवो स्नेह बहें हर एक मन में और कटुता को पिघला जाये
काश यह संभव हो जाये ,भगवान आपकी इच्छा पूरी करे .....
(कृपया वर्ड वैरिफिकेसन हटा दीजिये)
आपका पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट नकेनवाद पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteहौसला अफजाई के लिए आप सब का खूब खूब आभार ......सुनील जी वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है ,शुक्रिया आप ने इस और मेरा ध्यान आकर्षित किया ......
ReplyDeleteaapki kavita behad sundar v prerak hae .kabhi mere blog par bhi aayen sda svagat hae.
ReplyDeleteबहुत सार्थक सोच...सुंदर अभिव्यक्ति..
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