ये मानने से हमारा पूरा जीवन बदल जाता है ,हमारा नज़रिया और मनुष्यों के लिए और जीवन के प्रति भी बदल जाता है ,हम खुश रहते है और ख़ुशी बाटते है ,हम अपने जीवन में शांति और ख़ुशी दो चीजे ही तो चाहते है और इस के लिए उम्र भर जद्दोजहद करते है पर सही राह नहीं चुनते और कुछ हाथ नहीं लगता ,पहले खुद को जाने समझे फिर जीवन को जीये !
कुछ सौ साल पहले हमारी शिक्षा की शुरुआत ही इस बात से की जाती थी की हम आत्मा है और इस पञ्च -भूत के शरीर में हमारा आना ,जीवन को जीना और शरीर की उम्र पूरी होने पर इसे त्याग नए शरीर की तरफ प्रस्थान करना ये सब ईश्वर द्वारा रचे इस सृष्टि मंच / रंग -मंच का एक कभी न रुकने वाला नाटक है ,हमे जो रोल मिला है जिस शरीर में जिस हालत में ,उसे पूरी ईमानदारी से सब का ध्यान रखते हुए जीना ,ये ही हमारा धर्म है ! धर्म की ये बड़ी ही सहज और सरल परिभाषा थी जो की समय के साथ बदलते हुए काफी विकृत हो चुकी है !
आत्मा क्या है ?
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आत्मा एक ऊर्जा पुंज है ,सकारात्मक ऊर्जा पुंज ( पॉजिटिव एनर्जी )
ये ऊर्जा पुंज एक असीमित और अनन्त ऊर्जा पुंज का अंश है अर्थात परम +आत्मा का अंश !
परमआत्मा हमारा निर्माता /रचेता /परम पिता है हम उसे अनेक नामों से पुकारते है !
परमात्मा की शक्ति असीमित है अनन्त है पर हमारी शक्ति सीमित है ,हमे खुद को रिचार्ज करते रहने की जरूरत होती है जैसे मोबाईल वगैरह को चार्ज किया जाता है ,हम चार्ज होते है पॉजिटिव एनर्जी से !
यदि हमे अपने आस पास के लोगों से पॉजिटिव एनर्जी मिलती रहे तो हम खुश ,सुखी और शांत रहते है !
सृष्टि चक्र के आरम्भ में जब सतयुग और त्रेता युग थे तब पॉजिटिव एनर्जी की कमी नहीं थी ,जब तक ये ज्ञान भी था के हम आत्मा है ,जैसे जैसे ये ज्ञान लुप्त होता गया हम देह -अभिमानी होते गए ,पंच -विकारों में फसते गए और दुःख और अशांति के शिकार बनते गए भौतिक पदार्थों में सुख तलाशने लगे ,अगर उन में सुख शांति होते तो कलयुग में जितने भौतिक सुख है उतने किसी युग में नहीं होते पर मानव इस युग में ही सब से ज्यादा दुखी क्यूँ है ?
भौतिक वस्तुएँ सुविधा तो दे सकती है सुख नहीं दे सकती ! शांति तो कभी नहीं दे सकती ! फिर सुख शांति हम कहाँ तलाशे ? उसके लिए अपने मूल में वापस जाना होगा ,हम परम आत्मा का अंश है आत्मा है पॉजिटिव एनर्जी है उसी से हम बने है उसी से हम चार्ज होते है हमारी शक्तियाँ उसी से बढ़ती है और सुख शांति भी हमे वहीं से मिलेगा !
क्या करें
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जैसे हम आत्मा है वैसे ही अन्य सब को भी आत्मा जाने ,जिसे भी देखे याद करें ये भी आत्मा है मैं भी, हम एक परमात्मा का अंश है कोई छोटा नहीं बड़ा नहीं ,जब उसे अपना जानेंगे तो उसके लिए प्रेम और स्नेह के भाव मन में आयेगे ,पति पत्नी ,माँ बच्चे ,बहन भाई के लिए प्रेम आता है न ? जब वो भी हमारे है एक अंश है तो प्रेम /स्नेह मन में आएगा ही ,ये प्रेम /स्नेह /दया /करुणा ये पॉजिटिव एनर्जी का काफी निर्माण करते है ,जैसे ही हम दूसरों के लिए पॉजिटिव सोचना शुरू करते है हमारी चार्जिंग भी साथ साथ शुरू हो जाती है ,किसी से स्नेह करें ,करुणा वश या दया से कुछ काम करें तो पहले ख़ुशी हम पते है और सामने वाला बाद में ख़ुशी पाता है ऐसा होता है न?
तरीका हमे मिल गया ,पॉजिटिव रहें ,खुशियाँ बाँटें ,मुस्कान बाटें ,औरों की कमियों को नहीं खूबियों को देखें और खूब खूब पॉजिटिव एनर्जी औरों को दें साथ ही खुद भी पाएं !
आसपास के लोग बुरे है गलत है हमारी गलती निकलते है ,कमियां देखते है तब क्या करें और कहना आसान ऐ पॉजिटिव रहो पर अधिक देर रह ही नहीं पते तो क्या करें ? ये सब अगली पोस्ट में बात करेंगे !
इतना सब लिखा मेरा हौसला बढ़ाने के लिए क्या कुछ पॉजिटिव किया जा सकता है सोचियेगा :) सोचना क्या है पोस्ट शेयर करें ,अपनी राय दें ,सुझाव दें
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Bahut Prabhavshali post..
ReplyDeleteWelcome to my new blog post.
Nice Post:- 👉Arishfa Khan Whatsapp Number
ReplyDeleteआपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.
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