मुख़्तसर नज्में
१
हाँ तुम एक मंदिर बनवा लो
और तुम एक मस्जिद बनवा लो
क्यूंकि तुम्हारे दिल के अंधेरों से
अल्लाह , भगवान् वो जो है
ऊब चूका है .........
उस को नया मकान चाहिए
२
बंदूकों, तलवारों, छुरियों को
कुछ दिन की छुट्टी दे दें
बारूदों के ढेर छुपा दें
दूर कहीं तहखानो में
मुस्कानों के गहने
फिर एक बार निकाले
शायद लौट ही
आयें बहारें
क्या ख्याल है?
करके देखें?
( अख्तर किदवई )
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