एक खुबसूरत गजल
कितनी पलकों की नमी मांग के लाई होगी
प्यास तब फूल की शबनम ने बुझाई होगी
एक सितारा जो गिरा टूट के ऊचाई से
किसी जर्रे की हंसी उसने उड़ाई होगी
किसी मुफ्लिश ने कहीं शम्मा जलाई होती
मैं ने कुछ तुम से कहा हो तो ज़बां जल जाए
किसी दुश्मन ने ये अफवाह उड़ाई होगी
हम को आहट के भरोसे पे सहर तक पहुंचे
रात भर आप को भी नींद न आई होगी( एक अनजान शायर )
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